भिंडी की खेती कैसे करे 2023 | ओकरा फार्मिंग | हरी भिंडी की आधुनिक तकनीक से खेती कैसे करे ? | Bhindi ki Kheti Kaise Kare in Hindi

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भिंडी की खेती कैसे करे 2023 (Bhindi ki Kheti Kaise Kare in Hindi) भिंडी को हम सब लेडीज फिंगर या ओकरा के नाम से भी जानते है।

हमारे देश भारत में भिंडी की खेती कही सारे राज्यों में की जाती है वैसे बात करे तो उड़ीसा, बिहार, उतर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, अवं गुजरात में भी हरी भिंडी की फसल लेते है।

भिंडी की खेती अगावी या सबसे पहले की जाये तो किशान को भिंडी की फसल में से बहुत अच्छा मुनाफा मिल या हो शकता है हरी भिंडी की सब्जी सेहद के लिए बहुत लाभ दायक है।

हरी भिंडी में भरपूर मात्र में पोषक तत्व एवं विटामिन पाये जाते है मुख्य त्वे कैल्शियम, और फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट, एवं विटामिन ए, बी, और सी, बहुत अच्छी मात्र में पाये जाते है इसी लिए हरी भिंडी की सब्जी हम सबको बहुत पसंद है और उसकी सब्जी भी लाजवाब है

भिंडी की खेती कैसे करे 2023 (Bhindi ki Kheti Kaise Kare in Hindi) भारत के कृषि विकास की बात करे तो आमतोर पर दिन प्रति दिन हमारे कृषि सांसोधनो द्वारा नाइ नाइ तकनीक लाते रहेते है।

अपनाते भी है इसी लिए किसी भी फसल की हम बड़ी आसानी से खेती कर शकते है आज की तकनीक और हाई ब्रीड वेराइटी से जो किशान खेती करे तो कम महेनत में ज्यादा मुनाफा पाया जा शकता है इसी लिए भिंडी की खेती खरीफ और बरसात एवं सर्दी के तीनो मौसम में की जाती है

Bhindi ki Kheti Kaise Kare in Hindi

भिंडी की खेती कैसे करे 2023 (Bhindi ki Kheti Kaise Kare in Hindi) इसी लिए हम आज आपके फायदे के लिए और किशान भाई को भिंडी की खेती कर के अच्छा मुनाफा प्राप्त कर शकते है।

इस आर्टिकल के माध्यम से बताना चाहते हे की भिंडी की फसल कब और कैसे बुवाई करे, भिंडी की प्रसिद्ध वेराइटी कौन कौन सी हे एवं वातावरण और तापमान केसा चाहिए।

भिंडी में खाद कौन सा डाले और कितना, भिंडी की खेती (Bhindi Ki Kheti) में आनेवाले रोगी एंड उस रोग का उपचार कैसे करे और भिंडी के पौधे से उपज एवं पौधे की देखभाल कैसे करे।

इन सबके बारे में आज हम बारीक़ से बात करेंगे या जाने गए हरी भिंडी की खेती के लिए आप सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आपको हमारा इस आर्टिकल में अंत तक बने रहना होगा का

Table of Contents

भिंडी की खेती कैसे करे इन हिन्दी 2023 | ओकरा फार्मिंग | bhindi ki kheti kaise kare in hindi Overview

आर्टिकल का नाम हरि भिंडी की खेती (Bhindi ki Kheti Kaise Kare in Hindi)
इस आर्टिकल का उदेश्य किशान भाई ओ को हरी भिंडी की खेती में मदद मिले
प्रसिद्ध वेराइटी बाज़ीगर 865″ “NS 7772” “राधिका” SVOK 1408″ SW 017″ SW 008″
बुवाई कब और केसे करे ग्रीष्मकालीन में फरवरी से मार्च में और वर्षाकालीन में जून से जुलाई में की जाती है
तापमान और वातावरण 25°C से 35°C के बिच्च का और तीनो मौसम में
खाद कौन सा और कितना डाले DAP” सल्फर” जिंक” पोटास” नाइट्रोजन” एवं देशी खाद में सड़ा हुआ गोबर
आनेवाले रोग YVMV” ELCV” हरी तेली” थ्रिप्स” सफेद मक्खी” हरी इली
एक हेक्टरमे उपजएक हेक्टर में से ज्यादा से जयादा 9,00,000.00 लाख
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भिंडी की खेती के लिए कौन सी मिट्टी अच्छी होती है?

मिट्टी (जमीन) की पसंदगी : भिंडी की खेत के लिए मिट्टी बलुई दोमट एवं रेतली से चिकनी ऐसी मिट्टी में भिंडी की फसल करनी चाहिए और जिस मिट्टी में जल निकास की अच्छी होनी चाहिए।

खरास वाली (नमकीन) मिट्टी में भिड़ी का पौधा बहुत कम अंकुरित होता है बाद में उपज भी कम मिलेगी। भिंडी जीस मिट्टी में करे उस मिट्टी की पी एच मान 7 से 8 के बिच का हिना बेहद जरूरी है।

खेत तैयारी में जमींन : की ट्रेक्टर की मदद से गहरी जोताई दो बार करे और रोटावेटर से जमीन को भरभरी करे और बड़े पथ्थर या कंकण और घास फूस को खेत से बहार निकाले, ताकि खेत में मुख्य फसल को कोई नुकसान ना कर शके।

गहरी जोताई के बाद भूमि को समतल भी अवश्य करले ताकि जब आप सिंचाई करे तब सिंचाई में कोई दिकत ना हो और जमीन की गहरी जुताई के बाद एक एकर में 10 टन सड़े गोबर यानि के देशी खाद भरे या डाले।

भिंडी की फसल या भिंडी के पौधे को भरपूर मात्रामा वृद्धि के लिए पोषक तत्त्व मिल जाये और सल्फर 65% डाले 25 किलोग्राम पर हेक्टर एवं मल्टी जिंक 25 किलोग्राम पर हेक्टर देनी चाहिए ऐसे भिंडी की खेत कीजिए ताकि पौधे की वृद्ध में बड़ोतरी देखनी मिले और उपज भी अच्छी पर्याप्त हो

भिंडी की खेती में जलवायु और वातावरण

जलवायु : भिंडी की फसल की बात करे तो भिंडी की खेती को तेज और नमी वाला जलवायु उत्तम माना जाता है क्योकि भिंडी का पौधा हलकी गर्व जलवायु में बहुत तेजी से अंकुरित होता है।

भिंडी के पौधे पर फल और फूल भी जल्द अंकुरित होते है जब फल, फूल तेजी से अंकुरित होते है तब उपज में भी बड़ोतरी देख ने को मिलेगी

वातावरण : भिंडी की खेती के लिए पर्याप्त वातावरण 25°C से 35°C बहुत अच्छा है और जब कम यानि के 14°C से 17°C के बिच्च वातावरण हो जाता है।

भिंडी के बीज को अंकुरित होने में बहुत कठिनाई होती है इसी लिए भिंडी की खेती को 25°C से 35°C वातावरण अनुकूल आता है अगर इन से ऊपर 37°C से 40°C वातावरण में भिंडी के पौधे पर जो फूल है वह जमीन पर गिरने लगते है

भिंडी की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?

भिंडी की खेती कैसे करे इन हिन्दी 2023 (bhindi ki kheti kaise kare in hindi) भिंडी की खेती में जो प्रसिद्ध वेराइटी एवं वैज्ञानिक तकनीक से खेती की जाए तब किशान को बहुत भिंडी की फसल से लाभ मिल शकता है।

भिंडी की प्रसिद्ध एवं उत्तम वेराइटी जैसे की बाज़ीगर 865″ “NS 7772” “राधिका” SVOK 1408″ SW 017″ SW 008″ ए सब वेराइटी उत्तम मानी जाती है।

भिंडी की इन वेराइटी की किसान बुवाई कर के अच्छा खच्चा उपज ले शकते है वैसे देखा जाये तो भारत में भिंडी की बहुत सारी वेराइटी देख ने मिल जाये गई लेकिन ए सब वेराइटी हाई ब्रीड और अच्छी उपज एवं वायरस और रोग के सामने इन सब वेराइटी में अच्छी रोग प्रतिकारक शक्ति की समता है

  • बाज़ीगर 865 : इस वेराइटी SAKATA SEED INDIA P LTD की एक अच्छी वेराइटी है फ़िलहाल बेंगलुरु इनोवेशन सेंटर से प्रोवाइड कर रहे है इस का पेकिंग नेट Quantity 250 ग्राम है और एक हेक्टर में 5.5 से 6 किलोग्राम की बुवाई कर शक्ति है इस भिंडी में किट एवं रोग प्रतिकारक शक्ति बहुत है इस लिए बाज़ीगर 865 बीज की बुवाई कर के अच्छा उपज कर शकते है इस वेराइटी में YVMV और ELCV वायरस के सामने प्रति रोधक है। गर्मी के मौसम में अत्यधिक सहन शील है।
  • NS 7772 : इस वेराइटी की बात करे तो वे NAMDHARI SEED PVT. LTD. की है और इस वेराइटी की प्रोवाइड उरगाहल्ली बिदादी पोस्ट से हो रही है इस पैकेज की नेट Quantity 250 ग्राम है और पांच धारी वाला गहरा हरा रंग की भिंडी होती है इस वेराइटी में YVMV और ELCV वायरस के सामने प्रति रोधक है। गर्मी के मौसम में अत्यधिक सहन शील है। इस के फल पतला और लम्बा होता है।
  • राधिका : इस वेराइटी ADVANTA GOLDEN SEEDS की अच्छी वेराइटी है इस वेराइटी को UPL LIMITED प्रोवाइड करता है और नेट Quantity 250 ग्राम है इस वेराइटी के फल आच्छा हरे रंग का होता है और इस भिड़ी के पौधे की उच्चाई पांच से लेकर चे फिट की होती है और YVMV और ELCV वायरस के सामने प्रति रोधक है एवं गर्मी के मौसम में अत्यधिक सहन शील भी है।
  • SVOK 1408 : इस वेराइटी की बात करे तो SEMINIS की वेराइटी है इस वेराइटी को प्रोवाइड करते है मोनसैंटो होलडिंग्स प्राइवट लिमिटेड और नेट Quantity 250 ग्राम है इस वेराइटी की उपज बहुत अच्छी मिलती है और YVMV और ELCV वायरस के सामने प्रतिरोधक है एवं गर्मी के मौसम में अत्यधिक सहन शील भी है। एवं फल हरे रंग का अत है
  • SW 017 : इस वेराइटी की बात करे तो US AGRISEEDS की वेराइटी है और SEEDWORKS INTERNATIONAL PRIVATE LIMITED प्रोवाइड करते है और नेट Quantity 250 ग्राम है इस भिंडी के पौधे पे फल गहेरे हरे रंग का आता है और YVMV और ELCV वायरस के सामने प्रति रोधक है एवं गर्मी के मौसम में अत्यधिक सहन शील भी है।
  • SW 008 : इस वेराइटी की बात करे तो US AGRISEEDS की वेराइटी है और SEEDWORKS INTERNATIONAL PRIVATE LIMITED प्रोवाइड करते है और नेट Quantity 250 ग्राम है इस भिंडी के पौधे पे फल गहेरे हरे रंग का आता है और YVMV और ELCV वायरस के सामने प्रति रोधक है एवं गर्मी के मौसम में अत्यधिक सहन शील भी है।

भिंडी की बुवाई कब की जाती है

भिड़ी की खेती आमतौर पर तीनो मौसम में कर शकते है। भिड़ी की खेती के लिए कतार (chach) करना बेहद जरूरी है क्योकि बुवाई करते वक्त कतार बहुत उपयोगी बनते है।

भिंडी की खेती में एक कतार से दूसरे कतार की दुरी 1.5 से 2 फिट रखनी चाहिए और एक पौधे से दूसरे पौधे की दुरी 10 से 12 इंच रखनी चाहिए। एवं एक हेक्ट्रर में भिंडी की बुवाई 5.5 से 6 किलोग्राम कर शकते है।

भिड़ी के बीज को सीधे खेत में बुवाई कर शक्ति है उसे पहले भिगोना नहीं चाहिए क्योकि बुवाई के पहले भिगोने से बीज के ऊपर जो भी परत (पट) हे वे सली जाती हे बाद में बुवाई करने के बाद चुवे बीज को जमीन से निकाल देते है और जमीन के बहार बीज अंकुरिन नहीं हो शक्ति

भिंडी के लिए कौन सा उर्वरक सबसे अच्छा है?

आज के वक्त में हम सब जानते है की कोई भी फसल की खेती करे पौधे से अच्छी उपज पाने के लिए खाद डालना बेहद जरुरी है अगर भिंडी की खेत की बात की जाए तो भिंडी के पौधे को भी खाद डाल कर अच्छी उपज एवं पौधे को रोग और वाइरस से बसाया जा सकता है।

खाद में जो आप देशी खाद यानि के सड़ा हुआ गोबर डाले तो वे फसल एवं जमीन दोनों के लिए बहुत महत्त्व रखते है और रासायनिक खाद जमीन में डालने से जमीन की पी एच मान कम हो जाती है।

रासायनिक खाद ज्यादा डालने से 3 से 4 साल बाद जो भी फसल की बुवाई करे उस मे उपज में बहुत कम प्राप्त होती है। इसी लिए देशी खाद सड़ा गोबर ही डाले वे जमीन एवं फसल के लिए बहुत उत्तम माना जाता है।

  • पहला खाद जब भिंडी की फसल 20 दिन की हो जाये तब भिंडी के पौधे को हेक्टर में 20: 20: 20 6 किलोग्राम और हुमीक एसिड 12% 2 लीटर देनी चाहिए क्यों की इस खाद से पौधे का विकास अच्छा होता है
  • दूसरा खाद 40 से 45 दिन के बाद जब पौधे पे फूल फल आने लगते हे तब एक हेक्टर में 00: 52: 34, 6 किलोग्राम और मिक्समाइक्रो नुट्रिएंस 1 किलोग्राम जड़ो के पास पानी के साथ देनी चाहिए इन से पौधे पर अच्छा फल और फूल एते हे और जड़ ने से रोकते है
  • तीसरी खाद 55 से 60 दिन के बाद जब पौधे की फलकी कटाई देने लगे तब एक हेक्टर में 13: 00: 45 6 किलोग्राम और मेग्नेशियम, पोटेसियम, एवं सल्फर 3 किलोग्राम देनी चाहिए इन खाद से पौधे पे जो फल आया है इस फल का रंग गहरा होता है
  • चौथी खाद जब पौधे से पहेली तोड़ाई हो जाये तब एक हेक्टर में 00: 00: 50 6 किलिग्राम और पोटेशियम सोनाइट 10 किलिग्राम देनी चाहिए वे फलकी साइज और वजन में बड़ोतरी करते है

आप भिंडी के बीज कैसे संरक्षित करते हैं?

भिंडी की खेत एक हेक्टर में करनी है तो बीज दर 5.5 से 6 किलोग्राम की बीज बुवाई कर शकते है और एक पौधे से दूसरे पौधे की दुरी 10 इंच से 12 इंच की रख शकते है।

भींडी की खेती में बीज उपचार से अच्छा झर्मीनेशन ओर किट नियंत्रण ओर जमीन कि फंगस के लिए बिज उपचार किया जाता है।भींडी की खेती में बीज उपचार मे अलग अलग फंगिसाड,पेस्टिसाईड, पीजीआर का उपयोग किया जाता है

  • 1) 1 किलोग्राम बिज को “थायरम “5 ग्राम प्रति 1 किलोग्राम बिज दर से 20 मिलीग्राम पानी में थोड़ी देर बीज को भिगोकर सूखाकर बिज बुवाई के लिए अच्छा है।
  • 2) 1 किलोग्राम बिज को “प्रोवेक्ष” 10 मिलीग्राम प्रति 1 किलोग्राम बिज दर से 20 मिलीग्राम पानी में थोड़ी देर बिजो को भिगोकर सूखाकर बिज बुवाई के लिए अच्छा है।
  • 3) 1 किलोग्राम बिज को “सिस्टवा” 2 मिलीग्राम प्रति 1 किलोग्राम बिज दर से 20 मिलीग्राम पानी में थोड़ी देर बिजो को भिगोकर सूखाकर बिज बुवाई के लिए अच्छा है।
  • 4) 1 किलोग्राम बिज को “थायमेथोकझाम 30%FS” 5 मिलीग्राम प्रति 1 किलोग्राम बिज दर से 20 मिलीग्राम पानी में थोड़ी देर बिजो को भिगोकर सूखाकर बिज बुवाई के लिए अच्छा है।
  • 5) 1 किलोग्राम बिज को “क्लोरोपायरीफोस 20%EC” 10 मिलीग्राम प्रति 1 किलोग्राम बिज दर से 20 मिलीग्राम पानी में थोड़ी देर बिजो को भिगोकर सूखाकर बिज बुवाई के लिए अच्छा है।

ओकरा फार्मिंग में खरपतवार का नियंत्रण

भींडी की खेती में खरपतवार का नियंत्रण के पहली निराइ-गुडाइ 40 से 50 दिन के आसपास करें।ओर दूसरी निराइ-गुडाइ 60 से 70 दिन के आसपास करनी चाहिए।

रासायनिक खरपतवार मे “पेंडीमीथाइल 30%EC” ओर “ऑक्सिफलोरफेन 23.5 ECW/W” दोनो के 16 लीटर पानी में 80 मिलीग्राम मीलाके जमीन पर छिड़काव करे।

रासायनिक खरपतवार मै सकडी पत्ति खरपतवार केलिए “किवझालो इथाइल 5% EC” बहोत बढीया रिजल्टदेख ने को मिलेगा और भींडी की खेती में खरपतवार मैं हो शके तो रासायनिक दवाओं का प्रयोग ना करें।

तो बेहतर होगा। नियंत्रण केलिए निराइ-गुडाइ ही अच्छा है। क्यों की रासायनिक दवाई से जमीन की H.P कम हो जाती है

भिंडी की सिंचाई कैसे करें?

भिंडी की खेती या कोई भी फसल की खेती करे उस खेत में सिंचाई करनी बहुत जरुरी है जब भिड़ी के बीज की बुवाई खेत में हो जाये तब सिंचाई भी कर लेनी चाहिए।

भिड़ी के पौधे से अच्छी उपज प्राप्त कर ने के लिए पौधे को 3 से 4 दिन बाद सिंचाई अवश्य करे अगर बारिस का मौसम चल रहा हो तब जरुरत पड़ने के बाद सिंचाई करे और जर्मी के मौसम में भिड़ी के पौधे को पानी की बहुत जरूरत होती है।

जब पौधे पर फूब बहुत देखने को मिले तब एक सिंचाई जरूर करे क्यों की जो पौधे पे फूल देख ते हे वह फूल फल में अंकुरित जल्द ही हो जाये अगर सिंचाई सही वक्त पर की जाये तो भिड़ी का पौधा 180 से 200 दिन तक अच्छा फल देते है।

नहीं तो 150 से 170 दिन में भिड़ी की फसल ख़त्म हो जाती है इस लिए जो किशान को अच्छी उपज और लम्बे वक्त तक लेनी है तो सही वक्त पर सिंचाई एवं खाद डाल नी होगी तब उपज में भी बहुत बड़ोतरी आएगी और अच्छा मुनाफा किशान को मिलेगा

भिंडी में खरपतवारों को आप कैसे नियंत्रित करते हैं?

भिंडी की खेत में पौधे की देखभाल बहुत अच्छे से करनी चाहिए। वरना उपज में भारी गिरावट किशान को देखनी मिलेगी। जब भिंडी के पौधे पे फूल फल आते है।

तब जरुरी खाद और दवाई का छिटकाव करना होगा अन्यथा पौधे पे कही प्रकार के रोग एवं वाइरस आ जाते है या लग जाते है बाद में पौधा रोग ग्रस्त हो जाता है और अंकुरित भी नहीं हो पाता एवं उपज भी कम हो जाती है।

जब पौधे पे कोई रोग या किट का अटेक दिखे तब योग्य दवाई का छिटकाव करना चाहिए और पौधे को निरोगी या चवस्त रखना होगा।

भिंडी में कौन कौन से रोग होते हैं?

भिंडी की खेत में रोग एवं कीट फसल को बहुत नुकसान पाहोचाटे है भिंडी की खेत में पौधे को कही रोग एवं कीट से सुरक्षित रखना चाहिए। वार्ना भिंडी की फसल सारी बेकार एवं किशान की सारी महेनत पर पानी फिर जाता है।

इसी लिए भिंडी की खेती करे तब रोग अवं कीट और वाइरस की ताकेदारी पूरी सावधानी से करे और पौधे को रोग कीट एवं वाइरस से बसाते रहे। भिंडी की फसल में मुख्य रोग की बात केरे तो “पीला शिरा मोजैक “रोग बहुत भयानक रोग है

पीला शिरा मोजैक रोग भारत में भिंडी की खेती विविध राज्यों में की जाती है और सभी राज्यों में भिंडी की फसल में व्यापक रुप से ए पीला शिरा मोजैक रोग पाया जाता है इस रोग को 1940 में सर्वप्रथम महाराष्ट्र में साथियो और उप्पल के द्वारा देखा गया था। इस रोग को भिंडी की फसल पर लगने से अत्यंत हानिकारक रोग माना जाता है

पीला शिरा मोजैक का लक्षण भिंडी की फसल में ए रोग मुख्य तवे पतियों पर दिखता है इन से शिराये स्पष्ट हो जाती है और पर्ण जो होती हे पौधे पर वे पर्ण भी धीरे धीरे नष्ट होने लगते है शिराये अवं शिरकाये मोती चमकीली और पीली हो जाती है और जो पौधे पर नई पटिया एति है वह भी छोटी और पीली आती है गर्मी के मौसम में वर्षा से इस रोग का फैलाव बहुत तेजी से होता है जो पौधा इस रोग से संकरित हो जाता हे वह पौधे पे फल भी पीला एवं छोटा आता है इन रोग के प्रकोप से पौधे को बचाए के रखना चाहिए वार्ना फसल तेजी से ख़त्म हो शक्ती है

पीला शिरा मोजैक रोग फैलते कैसे है मुख्या तवे ए रोग सफ़ेद मक्खी के माध्यम से फैलता है और जब आप भिड़ी की खेत में खरपतवार करते हे तब भी ए रोग फैलता है

भिंडी में कौन सी दवा डालना चाहिए?

भिंडी की फसल में मुख्य रोग की बात करे तो पीला शिरा मोजैक रोग बहुत भयानक रोग माना जाता है और भी भिंडी की खेत में रोग पाए जाते हे इन में से “जड़ गलन” सचिया” “लिथकर्ल” एवं कीट की बात करे तो “सफ़ेद मक्खी” हरा तेला” लाल मकड़ी” ” थ्रिप्स ” मिलीबग” हरी सुंडी” हरी इल्ली” लस्करी इल्ली” इस रोग एवं कीट को भिंडी की फसल में पाए जाते है

पीला शिरा मोजैक रोग नियंत्रण के लिए आप पहले तो सफ़ेद मक्खी को नष्ट कीजिए और सफ़ेद मक्खी को नष्ट करने के लिए यलो स्टिक सारी फसल में लगानी चाहिए और डाइफेनथोरेंन 50% WP 16 लीटर पानीके साथ मिलाके छिटकाव करे और भिंडी की खेत में खरपतवार नियंत्रण रखे एवं इस रोग के प्रकोप वाले भिंडी के पौधे को जमीन से निकाल दे और जलादे

  • जड़ गलन इस रोग नियंतरण के लिए कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 50% WP एक हेक्टर दीठ एक किलोग्राम 400 लीटर पानीके साथ घोल मिलके पर एक पौधे पीर 50मिली ग्राम पोधेकी जाड़मे सिंचाई कीजिए
  • बैक्ट्रियल विल्ट इस रोग नियंतरण के लिए बायो स्टेट कंपनी का रोको फंगीसाइड थायोफिनैत मिथाइल 70% WP 400 लीटर पानीके साथ एक किलोग्राम मिलके पौधे की जड़ो में प्रति पौधे पे 50मिली ग्राम सिचाई कीजिए
  • छछिया रोगी और एन्थ्रक्नोज इस रोग नियंतरण के लिए सिजेंटा कंपनी का कवच फलो क्लोरोथालोनिल 40.0% W/W + डाइफेनकोनाज़ोल 4.0% W/WSC 16 लीटर पानीके साथ 25मिलीग्राम मिलाके अच्छे से 15 दिन के अंदर दो बार छिटकाव करे
  • माहु इस रोग नियंतरण के लिए टाटा कंपनी का एपलोड बूप्रोफेज़िन 25% SC 16लीटर पानी में 35 मिलीग्राम मिलाके छिड़काव 15 दिन के अंतराल में दो बार छिड़काव कीजिए।
  • हरा तेला इस रोग नियंतरण के लिए यूपीएल कम्पनीका उलाला फलेको मिड 50% SG 16 लीटर पानी के साथ 8 ग्राम कर के 15 दिन में दो छिटकाव करे
  • थ्रिप्स इस रोग नियंतरण के लिए बयार कंपनी का रीजैंट थिप्रोनिल 5% और पीआई कम्पनी का कोलफोर्स और इथियोन 40% + साईपर मेथिरिन 4%EC 16 लीटर पानी के साथ 35 मिलीग्राम
  • पान कथिरी इस रोग नियंतरण के जीवाग्रो मिटिगेट 5% EC और नागार्जुन का मेन्टल फिप्रोनील 7% + हेक्सीथाएजोक्स 2% SC 16 लीटर पानी के साथ 25 मिलीग्राम मिलके छिटकाव करे
  • सफेद मक्खी इस रोग नियंतरण के लिए बीएसेफ कंपनी का सैफीना एफीडोपायरोपेन 50% L DC 16 लीटर पानीके साथ 40 मिलीग्राम मिलाके छिटकाव कीजिए

भिंडी से अधिक उपज कैसे प्राप्त करूं?

भिंडी की खेती कर के किशान अच्छी मात्रा में मुनाफा कर शक्ति है भिंडी की खेत में फल की पहेली तोड़ाई 50 से 60 दिन के बाद आती है। और भिंडी के पौधे 180 से 200 दिन तक उपज देते है।

भिंडी के पौधे पे फल बहुत तेजीसे अंकुरित होते है क्यों की भिड़ी की तोड़ाई सुरु हो जाने पे एक दिन के बाद दूसरे दिन तोड़ाई कर शकते है।

भिड़ी की फसल की अगर आपने एक हेक्टर में बुवाई की है तो एक हेक्टर में से 120 से 140 किलोग्राम उपज कर शक्ते है और एक हेक्टर मे 6 किलोग्राम बीज की बुवाई कर शकते है अगर आपने भिंडी की फसल सब से पहले की हे तो आप को भिंडी के दाम भी अच्छा मिलेगा।

अन्य पढ़े :

सारांश

नमस्ते किशान भइओ इस पेरेग्राफ के माध्यम से आपको भिंडी की खेती कैसे करे 2023 (Bhindi ki Kheti Kaise Kare) में इस के बारे में बहुत कुछ जननेको मिलेगा

भिंडी के कोन कोन सी वेराइटी अच्छी हे। कैसे और कब बुवाई करे भिंडी की खेत में कोन कोन सा खाद डालना चाहिए। भिंडी के पौधे पे लगने वाला रोग एवं वाइरस इन रोग और वाइरस से नियंत्रण कैसे करे।

भिंडी के उपज एवं तोड़ाई कैसे करे वैसे बात करे तो भिंडी की खेती के वारे में इस पेरेग्राफ में आपको बहुत कुछ जानने को मिला होगा। इस लिए ए पेरेग्राफ आपको भिंडी की खेत करने में बहुत हेल्प फूल होगा।

इस लिए हमें पता हे की ए पेरेग्राफ आप को बेहद पसंद आया होगा। इस लिए ए पैरेग्राफ को आप अपने किशान भइओ के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। इस पेरेग्राफ में अंत तक बने रहने के लिए आपका धन्यवाद

FAQ’s

Q-1. भिंडी की खेती कब करनी चाहिए ?

Answer : भिंडी की खेत फ़रवरी, जून, नवम्बर, तीनो मास में की जाती है

Q-2. भिंडी की कौन कौन सी वेराइटी सब से अच्छी है ?

Answer : भिंडी की वेराइटी में राधिका, SW 008, WS 0017, बाज़ीगर, SVOK 1408, ए सब भिंडी की उत्तम वेराइटी मानी जाती है

Q-3. भिंडी के खेत में कौन कौन से रोग पाए जाते है ?

Answer : भिंडी की खेत में पीला शिरा मोजैक, जड़ गलन, सचिया, लिथकर्ल, आदि रोग पाए जाते है

Q-4. भिंडी के पौधे कितने दिन में फल देने लगता है ?

Answer : भिंडी के पौधे 50 से 60 दिन में फल देने लगते है

Q-5. भिंडी की बुवाई एक हेक्टर में करे तो बीज दर क्या है ?

Answer : भिंडी की खेत एक हेक्टर में करे तो बीज दर 5.5 से 6 किलोग्राम पर्याप्त है

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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