परवल की खेती कैसे की जाती है ?|Parwal Ki Kheti In Hindi

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परवल की खेती कैसे की जाती है : (Parwal Ki Kheti In Hindi) हम सब ने कई सब्जी के नाम सुने होंगे और इन में से एक नाम परवल का भी है। परवल एक कद्दूवर्गिया फसल है।

Parwal Ki Kheti In Hindi

हमारे देश में परवल की खेती कई राज्यों में की जाती है। इन में से गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट, असम, मध्यप्रदेश, और उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल इन सब राज्यों में बड़े पैमाने में परवल की खेती की जाती (Parwal Ki Kheti In Hindi) है।

परवल के भारी मात्रा में उपज भी किशन भाई करते है। और भारी उपज से मुनाफा भी अधिक प्राप्त करते है। परवल मुख्य तवे सब्जी में उपयोग में लिए जाताहै इन के आलावा परवल को हम कई मिठाई में भी उपयोग में लेते है।

परवल की सब्जी खाने से शरीर में कई प्रकार के लाभ होते है।परवल की खेती कैसे की जाती है : (Parwal Ki Kheti In Hindi) परवल में कई पोषक तत्व एवं विटामिन, कार्बोहाइडे्रट, प्रोटीन, और औषधीय गुण भी भरपूर मात्रा में पाये जाते है।

परवल के बारे में वैज्ञानिक एवं आयुर्वेदो ने कहा है की परवल औषधीय दवाई के लिए भी उपयोगी है। परवल में औषधीय गुणों की बात करे तो परवल में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीहाइपरलिपिडेमिक, एंटीडायरियल, एवं एंटीहाइपरग्लाइसेमिक जैसे औषधीय गुणों भरपूर मात्रा में मिलते है।

परवल इन सब औषधीय गुणों के कारण परवल मानव शरीर के लिए खुबज उपयोगी माना जाता है। परवल की सब्जी खाने से कई बीमारी भी ठीक हो जाती है।

जैसे की आपके रक्त में ग्लूकोज के स्तर बढ़ते जाते है तब और कोलेस्ट्रॉल बढ़ते जाते है तब अगर परवल की सब्जी बना के दिन में एक बार खाया जाये तो इस बीमारी से काफी रहत मिलती है। और बाद में इस बीमारी से छुटकारा भी पा शकते है। इस तरह की बीमारी में परवल खुबज मदद रुप होते है।

परवल की खेती कैसे की जाती है : (Parwal Ki Kheti In Hindi) परवल मानव शरीर के लिए बहुत उपयोगी कद्दूवर्गिया फसल है। इस लिए हम आज आपको परवल की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करते है।

अगर आप भी परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) करना चाहते है तो इस आर्टिकल की मदद से कर शकते है। इस आर्टिकल में आपको परवल की खेती के लिए केसी मिट्टी पसंद करेंगे।

मिट्टी की तैयारी, परवल की प्रसिद्ध किस्मे (वेराइटी ), परवल की खेती में केसा वातावरण एवं तापमान चाहिए, परवल की खेती कब और कैसे करे, परवल में खरपतवार का महत्त्व।

परवल की खेती में सिंचाई ,एवं रोग और किट उपचाई, और तोड़ाई एवं उपज इन सब के बारे में हम आज बारीक़ से जानेगे और बात करेंगे।

परवल के खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) की जानकारी सम्पूर्ण लेना चाहते है तो इस आर्टिकल में अंत तक बने रहे। और परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) कर के कम वक्त में ज्यादा मुनाफा पा शकते है।

Table of Contents

परवल की खेती कैसे की जाती है ?|(Parwal Ki Kheti In Hindi) Overview

आर्टिकल का नामपरवल की खेती कैसे की जाती है (Parwal Ki Kheti In Hindi)
इस आर्टिकल का उदेश्यकिशान भाई ओ को खरबूजे की खेती में मदद मिले
प्रसिद्ध वेराइटीकाशी अलंकार, स्वर्ण रेखा, कल्यानी, काशी सुफल, संतोखिया, स्वर्ण अलौकिक
बुवाई कब और केसे करेफरवरी, मार्च और अक्टूबर, नवम्बर मास में की जाती है
पौधे से पौधे की दुरीपौधे से पौधे की दुरी 10 से लेकर 15 फिट रखनी चाहिए
तापमान और वातावरण25℃ से 30℃ तापमान और गर्म एवं अधिक आद्र जलवायु
खाद कौन सा और कितना डालेखाद में अच्छे से सड़ा हुआ गोबर 200 से 250 क्विंटल एक हेक्टर में
आने वाले रोग एवं कीट पाउडरी मिल्ड्यू फफूंदी, सर्कोस्पोरा धब्बा रोग एवं कीट सफ़ेद मक्खी, फल मक्खी, पर्ण सुरंगक, जड़ व तना खानेवाली इल्ली
एक हेक्टरमे उपजपहेला साल में 80 से 100 और 3 साल बाद 180 से 200 क्विंटल
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परवल की खेती के लिए मिट्टी की पसंदगी और तैयारी कैसे करे ?

परवल की खेती : (Parwal Ki Kheti In Hindi) परवल की खेती के लिए अच्छी जल निकासी मिट्टी जैसे की जीवांश युक्त बलुई दोमट मिट्टी या रेतीली मिट्टी में परवल की खेती ज्यादा तर करते है।

परवल की बात करे तो नदीके किनारे पर जो रेतीली विस्तार पर भी अच्छी खेती की जाती है क्यों की रेतीली मिट्टी में जल निकाशी अच्छी होती है।

परवल जहा पानी भराव रहता है वही परवल की खेती नहीं करनी चाहिए। और जहा परवल की खेती करे वही जमीन का P.H मान 6 से लेकर 7 के बिच में होना चाहिए।

परवल की खेती : (Parwal Ki Kheti In Hindi) में जमीन या मिट्टी की तैयारी 2 से 4 बार गहरी जुताई करनी चाहिए। क्यों की 2 से 4 बार गहरी जुताई से मिट्टी भुरभुरी हो जाती है।

भुरभुरी मिट्टी में जल निकास अच्छे से होता है। गहरी जुताई हो जाने के बाद पाटा चला के जमीन को समतल कर लेनी चाहिए ताकी जब परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) में सिंचाई करे तब कोई दिकत ना हो पाए।

जुताई करने के बाद अच्छे सड़े गोबर मिट्टी के साथ मिला देनी चाहिए। इस परवल की खेती पश्चिम बंगाल में नदियों के किनारे पर भी की जाती है

परवल की खेती को तापमान और जलवायु की माहिती|(Parwal Ki Kheti In Hindi)

परवल की खेती : (Parwal Ki Kheti In Hindi) को गर्म तापमान को उत्तम माना जाता है। जहा गर्म तापमान एवं अधिक आद्र जलवायु है वही परवल की खेती अच्छे से होती है।

परवल की उपज भी ज्यादा मिलती है। परवल के बेल को 25℃ से 30℃ तापमान अनुकूल माना जाता है। शुरू आतमे परवल के बीज और पौधे की अच्छी विकाश के लिए 15℃ से 20℃ तापमान की आवश्यकता होती है।

जब ठंड का मौसम है तब परवल की खेती नहीं की जा शक्ति है। क्यों की परवल के पौधे 4℃ से 5℃ या इन के निचे जब तापमान चला जाता है तब परवल के बेल अच्छे से वृद्धि नहीं कर पाता और जब ठंड के मौसम में पाला पड़ता है तब परवल के पौधे या बेल इस पाले को सहन नहीं कर शकता।

बाद में बेल या पौधा सुख ने लगता है। इस लिए परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi)को गर्म और 25℃ से 30℃ तापमान वाले विस्तार में ज्यादा उपज एवं अच्छे से खेती की जाती है।

परवल की खेती के लिए प्रसिद्ध किस्में|(Parwal Ki Kheti In Hindi)

परवल की खेती : (Parwal Ki Kheti In Hindi) आप जो परवल की प्रसिद्ध किस्मे या वेराइटी की बुवाई करे तो उपज में भी भारी बढ़ोतरी देख ने को मिलेगी।

अगर इन प्रसिद्ध किस्मे में काशी अलंकार, स्वर्ण रेखा, कल्यानी, काशी सुफल, संतोखिया, स्वर्ण अलौकिक, डी.वी.आर.पी.जी 1, डंडाली, एफ. पी-1,एफ. पी- 3, राजेन्द्र परवल-1, राजेन्द्र परवल-2, गुल्ली, संतोखिया, निरिया, फैजाबाद परवल 1, और भी कही सारी प्रसिद्ध किस्मे या वेराइटी है।

इस उन्नत वेराइटी में से कोई भी वेराइटी की खेती आप कर के अच्छे उपज के साथ अच्छा मुनाफा भी किशान पा शकता है।

  • काशी अलंकार : इस किस्मे की बुवाई ज्यादा तर किशान करते है। क्योकि इस वेराइटी में उपज भारी मात्रा में मिलती है और रोग प्रति कारक शक्ति भी बहुत होती है। इस के फल की ऊपरी भाग हलके हरा रंग के होते है। और गूदा एवं बीज भी भारी मात्रा में होते है। इस के फल में सफ़ेद रंग की धारी होती है और देखने में काफी मुलायम दीखते है। इस किस्मे के फल की साइज़ 8 से लेकर 10 सेंटीमीटर लम्बे होती है। और वजन भी काफी होता है। इस की खेती किशान अगर एक हेक्टर में करते है तो एक हेक्टर में से 200 से लेकर 250 क्विंटल उपज प्राप्त कर शकते है।
  • स्वर्ण रेखा : इस किस्मे के पौधे या बेल ज्यादा तर बुवाई करते है किशान क्यों की इस वेराइटी के पौधे या बेल ज्यादा फल देते है। इस के फल में गूदा बहुत और बीज भी भारी मात्रा में होते है। गूदा एवं बीज ज्यादा होने के कारण वजन में भी भारी फल होते है। इस फल का वजन 30 से लेकर 40 ग्राम तक का होता है। ज्यादा वजन के कारण किशान को बाजार में बेचने को भारी मुनाफा भी हो जाता है। इस के फल की साइज़ 8 से लेकर 12 सेंटीमीटर की लम्बाई होती है। इस फल की ऊपरी हिच्छे में सफ़ेद रंग की धारिया देखने को मिलेगी। इस किस्मे की एक और भी खासियत है जैसे की जहा बेल की गांठ होगी वही एक और नया फल देखने को मिलेगा। इस वेराइटी की उपज आप 300 से लेकर 600 दिन तक ले शकते है। इस किस्मे की खेती अगर आपने एक हेक्टर में की है तो आपको उपज 210 से 260 क्विंटल के हिसाब से मिलेगी।
  • स्वर्ण अलौकिक : इस किस्मे के फल में बीज दर बहुत कम देखने को मिलेगा। और फल का आकर लम्ब गोल जैसे की अंडे के आकर जैसे दीखते है। इस वेराइटी में उपज आपको 350 से लेकर 650 दिन तक मिलती रहती है। इस फल का उपरा हिच्छा आच्छा हरे रंग का दीखता है। इस फल के ऊपर धारिया नहीं होती और थोड़ा लिच्छा फल होता है। इस फल की साइज़ 6 से 9 सेंटीमीटर की लम्बाई होती है। और फम में गूदा भी भारी मात्रा में होता है
  • एफ. पी- 3 : इस किस्मे के फल के ऊपरी हिच्छे में सफ़ेद रंग के धारी देखने को मिलेगी। इस के फल इस फल में गूदा थोड़ा कम और गूदा पिले रंग का होता है। इस के फल में वजन 20 से लेकर 35 ग्राम का वजन होता है। इस के फल 7 से लेकर 9 सेंटीमीटर लम्बे और थोड़े बड़े साइज़ के होते है। इस वेराइटी से उपज आप 320 से लेकर 610 दिन तक ले शकते है। इस के फल का आकर भी लम्ब गोल या अंडे के आकर का होता है।
  • काशी सुफल : इस किस्मे के फल हल्के हरे रंग के होते है। इस फल के ऊपरी हिच्छा पे सफ़ेद रंग की धारी होती है। और साइज़ में थोड़ा चोट्टा होता है। और गूदा एवं बीज भारी मात्रा में होते है। इस फल को मिठाई में उपयोग लिए जाता है। और स्वाद की बात करे तो स्वाद भी काफी अच्छा होता है। इस बेराइटी की खेती किशान एक हेक्टर में करते है तो एक हेक्टर में से तक़रीबन 220 से लेकर 260 क्विंटल की उपज ले शकते है
  • फैजाबाद परवल 1 : इस किस्मे के फल बहुत हरे रंग के होते है। इस वेराइटी का निर्माण फैजाबाद में नरेंद्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने किया था। इस के फल में गुदा एवं बीज थोड़े काम होते है। इस फल में वजन भी 20 से 25 ग्राम का होता है। वजन काम होने के कारण एक हेक्टर में से 140 से 180 क्विंटल की उपज मिल शक्ति है। इस वेराइटी की मुख्य तवे खेती उतर प्रदेश और बिहार के कही विस्तार में की जाती है।
  • एफ. पी 1 : इस किस्मे के फल लम्ब गोल होते है। और फल के ऊपरी हिच्चे में सफ़ेद रंग के धारी होते है। इस के फल हरे रंग के होते है। इस किस्मे की खेती ज्यादा तर बिहार एवं उतर प्रदेश के कई विस्तार में किशान करते है
  • राजेन्द्र परवल 1 : इस वेराइटी की खोज बिहार में की गई है। बिहार में राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय द्वारा इस की खोज की है। इस के फल थोड़े बड़े और लम्ब गोल आकर के होते है। इस फल के ऊपरी हिच्छे में हरा रंग दीखता है। इस फल की उपज थोड़ी कम आती है। अगर एक हेक्टर की बात करे तो एक हेक्टर में से लगभग 150 से 170 क्विंटल एक हेक्टर मेसे उपज मिलती है। इस वेराइटी को बिहार में ज्यादा तर उगाया जाता है

परवल की खेती कब करे?|(Parwal Ki Kheti In Hindi)

परवल की खेती : (Parwal Ki Kheti In Hindi) परवल के पौधे की बुवाई ठीक समय पर करनी चाहिए अच्छी उपज के लिए और परवल के पौधे अच्छे से अंकुरित हो शेक इस लिए परवल की बुवाई फरवरी से मार्च में खेतों में लगा देते हैं

कई विस्तार में अक्टूबर और नवम्बर मास में भी की जाती है। इस परवल की खेती में नर परवल एवं मादा दोनों की बुवाई करनी चाहिए। बीज से बुवाई करते है तब नर की संख्या बढ़ जाती है।

परवल में मादा की संख्या कम होने के कर उपज में भी भारी नुकशान किशन को भुगतना पड़ता है। परवल की अच्छी उपज के लिए परवल के बेल के (तनाव )के 10 फिट 15 किट के टुकड़े करे और इन टुकड़े को जमीन में अच्छे से बुवाई के बाद दबा दीजिए।

परवल में ज्यादा तर मादा कलम लेनी चाहिए। और 10 से 15 प्रतिशय नर लता की कलम लेनी चाहिए। ऐसे बुवाई करने से हमे बहुत फायदे मिलते है। जैसे की परवल के बेल में परागकण (फूल-फल ) अच्छी मात्रा में हो शक्ति है

परवल की खेती तीन प्रकार से की जाती है। एक तो परवल के बीज की बुवाई कर के और दूसरी परवल के बेल (लत्ताओं की लच्छी) के 10 से 12 फिट का टुकड़ा कर के बुवाई की जाती है।

तीसरा बुवाई का तारीख है जड़ो की कलम इस प्रकार परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) की बुवाई की जाती है। अगर अपने बीज की बुवाई की है तो बीज में से पराग निकल ने में काफी वक्त लगते है

बीज को अंकुरित होने के लिए 25℃ से 30℃ तापमान की आवश्यकता होती है। और बीज की बुवाई धोरिया या क्यारी में भी कर शकते है। परवल के प्रत्यक बीज या बेल की कलम को 10 से 15 फिट की दुरी पर बुवाईकरनी चाहिए।

अगर आप मेड के हिसाब से बुवाई करना चाहते है तो प्रत्यक पौधे की दुरी 2 से 4 मीटर की दुरी रखे क्यों की 2 से 4 मीटर की दुरी रखने से पौधे को जमीन में से पोषक तत्व अच्छी मात्रा में मिल शक्ति है

परवल के जो मेड पर लगाई गई पौधे को सहारा मिले इस लिए लकड़ी के मदद से मेड को तैयार कर ना होगा।

  • बीज की बुवाई कर के : बीज की बुवाई कर के परवल के पौधे उगाई जाते है। पहले तो पके हुआ परवल में से बीज निकल के नर्सरी के क्यारिया में बुवाई कर के उगाई जाते है। इस बीज से अंकुरित पौधे को 2 से 3 महीने के बाद मुख्य खेत में बुवाई कर शकते है। इस बीज मे से जो अंकुरित होके पौधे तैयार होते है इन पौधे में नर की संख्या ज्यादा होती है और मादा की संख्या कम होती है। मादा की संख्या कम होने के कारण उपज भी कम आती है। इस लिए बीज की बुवाई कर के बहुत कम परवल की खेती की जाती है।
  • जड़ों की कलम : इस प्रकार की कलम कर के वक्त से पहले परवल के फल प्राप्त कर शकते है। इस प्रकार की बुवाई करने के लिए जड़ के साथ तने का 4 से 6 इंच का टुकड़ा लेना होगा और इन तना में 8 से 10 गांठे होती है। और इस तना को मुख्य खेत में बुवाई करते है। इस प्रकार की बुवाई करने से परवल के पौधे जल्द वृद्धि करते है।
  • लत्ताओं की लच्छी :इस प्रकार की परवल की बुवाई ज्यादा तर किशान करते है। इस प्रकार की बुवाई करने के लिए पुरानी 100 से 150 सेंटीमीटर की लम्बी लताओं की लच्छी बनानी पड़ती है और इस लम्बी लच्छी को बुवाई करते है। इस तरी के से बुवाई में नर की संख्या कम और मादा की संख्या ज्यादा रखते है। इस लिए पराग भी बहुत खिलते है। एवं उपज भी भारी मात्रा में किशान ले शकते है। इस प्रकार की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) की बुवाई ज्यादा तर बिहार एवं उतर प्रदेश के कई इलाके में की जाती है।

परवल की खेती में खरपतवार कैसे करे?|(Parwal Ki Kheti In Hindi)

(Parwal Ki Kheti In Hindi) की बात करे तो परवल की खेती में खरपतवार नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है। जब खरपतवार नियंत्रण नहीं किया जाये तो मुख्य फसल में भारी नुकशान भुगतना होगा किशन को और उपज भी कम हो शक्ति है।

परवल में खरपतवार सही वक्त पर करे तो मुख्य फसल तेजी से वृद्धि करती है और उपज में भी बड़ोतरी होती है। परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) में खरपतवार दो तरी के से कर शकते है।

परवल में खरपतवार एक तो प्राकृति कतरी के से और रासायनिक तरीके से

  • प्राकृति कतरी के से : इस प्रकार से खरपतवार ज्यादा तर किशान करते है। इस में किशान खुरपी की मदद लेकर खरपतवार करते है। इस प्रकार खरपतवार करने से जमीन ( मिट्टी ) में मौजूदा H.P मान बना रहता है और इस जमीन में उपज भी अच्छी रहती है।
  • रासायनिक तरीका : इस प्रकार से खरपवार कम किशान करते है। इस में कई दवाई का उपयोग कर के खरपतवार की जाती है। और इस प्रकार खरपतवार करने से जमीन या मिट्टी में मौजूदा पी.एच मान कम हो जाता है
  • इस प्रकार की जमीन में उपज भी कम हो जाती है और 3 से 4 साल में जमीन की P.H मान कम होने के कारण जमीन में कोई बी फसल की बुवाई करे उपज कम ही प्राप्त होगी।

परवल की खेती की देखभाल कैसे करे ?|(Parwal Ki Kheti In Hindi)

परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) या किसी भी फसल की खेती करे किशान को इस फसल की देखभाल अच्छे से करनी होगी अच्छी उपज के हेतु अच्छी देखभाल भी करनी होगी।

परवल एक बेल का पौधा है इस लिए हम सब जानते है की अगर किसी बेल को अच्छी वृद्धि करनी है तो किसी ना किसी सहारा की जरूरत पड़ती है। और सहारा में हम मेड़ या बाउंड्री ( जाली ) का उपयोग कर शकते है।

लेकिन किसी पेड़ के नीचे परवल की बुवाई नहीं करनी चाहिए। क्यों की परवल की बेल को ज्यादा धुप की आवश्यकता होती है। जब जायदा नमी होती है तब परवल के फूल और फल जमीन पर ज्यादा गिरते है परवल की बेल को 25℃ से 30℃ तापमान अनुकूल माना जाता है।

परवल की खेती में सिंचाई कब करनी चाहिए ?|(Parwal Ki Kheti In Hindi)

परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) में सिंचाई बहुत कम करनी चाहिए क्योकि परवल की बेल को ज्यादा पानी (सिंचाई) की आवश्यकता नहीं होती है।

परवल को मुख्य खेत में बुवाई करने के बाद तुरंत एक बार सिंचाई करनी चाहिए ताकि पौधा जमीन में अच्छे से जुड़ जाये। और परवल की खेती परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) में बाद में 10 से 15 दिन बाद करे।

अगर ठंड के मौसम चल रहे है तो परवल की खेती में पानी 15 से 20 दिन के अंतर में करे। परवल की बेल बड़ी हो जाने पर सिंचाई ड्रिप सिचाई द्वारा करे। और बारिश के मौसम में जरूरत मुजब सिंचाई करनी चाहिए।

परवल की खेती में खाद सिड्यूल कोन सा और कब देना चाहिए?

परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) में खाद अच्छी मात्रा में डालने से परवल के बेल की अच्छी वृद्धि होती है। बेल की अच्छी वृद्धि के कारण फूल फल अधिक मात्रा में प्राप्त कर शकते है।

अच्छी मात्रा में फल प्राप्त होने के कारण किशान को उपज भी अच्छी मिलती है। ज्यादा उपज के कारण किशान को मुनाफा भी अच्छा मिलता है। इन सब कारण की वजसे परवल की खेती में खाद देना बेहद जरूरी है।

जब परवल की खेती की तैयारी की आखरी जुताई हो तब 200 से लेकर 250 क्विंटल एक हेक्टर के हिसाब से अच्छी सड़ी गोबर का खाद डाल के मिट्टी में मिला देना चाहिए।

परवल में इस के बाद नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश भी देना चाहिए। नाइट्रोजन 80 से 90 किलोग्राम और फास्फोरस 50 से 60 किलोग्राम एवं पोटाश 30 से 40 किलोग्राम एक हेक्टर में दे शकते है।

नाइट्रोजन का मुख्य काम है पातियोमे क्लोरोफिल तत्व बढ़ता है और पातिया हरे रंग की दिक्ति है और पोटाश का मुख्य काम है फल का कद बढ़ाने में मदद करता है एवं फोस्फरस का मुख्य काम है।

फल का कद बढ़ाना और वजन में बड़ोतरी होगी और इस के आलावा भी खाद दाल शकते है जैसे की बोनमील, एवं मस्टर्ड केक और फास्फोरस रिच जैसे खाद भी दाल शकते है।

परवल की खेती में लगने वाले रोग एवं कीट कौन कौन सा है?

परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) में रोग एवं कीट बहुत लगते है। परवल की खेत में फफूंदी जैसे रोग लगते है और पाउडरी मिल्ड्यू फफूंदी, डाउनी मिल्ड्यू फफूंदी, सर्कोस्पोरा धब्बा रोग जैसे कई रोग लगते है

परवल में किट की बात करे तो गांठिया मक्खी, पान पगा, सफ़ेद मक्खी, जड़ व तना खानेवाली इल्ली, और पर्ण सुरंगक, इन तरीके के कीट परवल की खेती में देखने को मिलता है।

इन रोग और किट का सहि वक्त पर नियंत्रण नहीं किया जाये तो परवल की सारी फसल बर्बाद हो शक्ति है और किशान को भारी नुकशान भुगतना पड़ता है। इस लिए सही बक्त पर कीट एवं रोग का नियंत्रण करना होगा। मियंत्रण के लिए योग्य दवाई का छिटकाव कर ना होगा।

  • पाउडरी मिल्ड्यू फफूंदी : इस रोग लगने से पौधा या बेक के पत्तिया मे से रस चूस लेते है और बाद में पत्तिया सुख जाती है और जमीन पर गिर जाती है
  • डाउनी मिल्ड्यू फफूंदी : इस रोग के कारण पत्तिया में छोट्टे छोट्टे सेद हो जाते है और पत्तिया बाद में गिरने लगती है
  • सर्कोस्पोरा धब्बा रोग : इस रोग के कारण पत्तिया में सूखे धब्बे दीखते है और बाद में पत्तिया गिर ने लगती है
  • गांठिया मक्खी : इस तरके कीट परवल के बेल में जो गांठे होती है वही गांठो को खाते है और बाद में बेल सूखने लगती है
  • सफ़ेद मक्खी : इस कीट का अटेक फल पर होता है और पल में मौजूदा गूदा खाते है और फल को बिगड़ ने का काम करते है
  • जड़ व तना खानेवाली इल्ली : इस किट की वजे से तना में जो नया अंकुर फूटते है उसे खाते है और बेल की जड़ो में जाकर जेड भी खाते है बाद में पौधा जड़ से जरूरी खोराक नहीं ले पाता और पौधा धीरे धीरे सुख के नष्ट हो जाता है।
  • पर्ण सुरंगक : इस कीट का मुख्य काम है पर्ण में सुरंग करना तना के पर्ण में सुराग हो जाने से तना की वृद्धि रुक जाती है और पत्तिया पर भी सफेद धारी दिखाय देती है

परवल की खेती में लगने वाले रोग एवं कीट नियंत्रण कैसे करे?

परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) में जब रोग एवं कीट लगते है या अटेक करते है तब इस रोग या कीट का नियंत्रण करना बेहद जरूरी है। इस के लिए योग्य दवाई का छिटकाव करे और रोग एवं कीट से छुटकारा पाया जा शकता है।

पाउडरी मिल्ड्यू फफूंदी, डाउनी मिल्ड्यू फफूंदी, सर्कोस्पोरा धब्बा रोग : इस रोग नियंतरण के लिए सिजेंटा कंपनी का कवच फलो क्लोरोथालोनिल 40.0% W/W + डाइफेनकोनाज़ोल 4.0% W/WSC 16 लीटर पानीके साथ 25मिलीग्राम मिलाके अच्छे से 15 दिन के अंदर दो बार छिटकाव करे

सफेद मक्खी : इस रोग नियंतरण के लिए बीएसेफ कंपनी का सैफीना एफीडोपायरोपेन 50% L DC 16 लीटर पानीके साथ 40 मिलीग्राम मिलाके छिटकाव कीजिए इस के आलावा 20 ग्राम डायफेन्थ्रीयुरोन 50 W/P 16 लिटर पानी या स्पाइरोमेसिफेन 240 एससी, प्रति 18 मिलीलीटर, 16 लिटर पानी या एसिफेट 50 प्रतिशत + इमिडाक्लोप्रीड 1.8 एससी 50 ग्राम 16 लिटर पानी में मिलाके छिड़काव करें

पर्ण सुरंगक : इस कीट नियंत्रण के लिए एबामेक्टीन 1.9% E/C, 6 मिलीलीटर, डायफेन्थ्रीयुरोन 50% W/P 16 लिटर पानी के साथ घोल मिलाके छिड़काव करना चाहिए

फल मक्खी : इस कीट नियंत्रण के लिए आप इंडोक्साकार्ब 14.5% S/C 5 मिलीलीटर + स्टिकर 6% मिलीलीटर या फिप्रोनिल 5% S/C 30 मिलीलीटर, 16 लिटर पानी या लेम्डासाइलोहेथ्रिन 5% S/C, 7.5 मिलीलीटर, 16 लीटर पानी या थायोडीकार्ब 75% W/P 40 ग्राम 16 लीटर पानी में मिलाके (Parwal Ki Kheti In Hindi) छिड़काव करना चाहिए

जड़ व तना खानेवाली इल्ली : इस कीट के नियंत्रण में हम 30 किलोग्राम, कार्बोफूरोन 8 किलोग्राम एक हेक्टेयर में दे शकते है सिंचाई के माध्यम से | खड़ी फसल में नियंत्रण हेतु 1.25% लीटर, फिप्रोनिल या क्लोरोपाइरीफोस 20% I/C 6 लीटर एक हेक्टेयर में दे शकते है सिंचाई के द्वारा

परवल की खेती में लाभ और उपज एवं तोड़ाई कब करे ?|(Parwal Ki Kheti In Hindi)

परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) कर के किशान बड़े पैमाने में उपज का लाभ ले शकते है। परवल की सहि वक्त पर तोड़ाई करनी चाहिए। वार्ना परवल धीरे धीरे बेल पर पक जाते है।

परवल की बेल पैदावार कम देती है। परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) तीन से लेकर चार साल तक की जाती है। तीन या चार साल में भारी उपज मिलती है। परवल के पौधे पहेले साल में 80 से 100 क्विंटल एक हेक्टर में उपज देते है

इस के बाद उपज की बड़ोतरी होती रहती है और आखरी तीन चार साल में तो 180 से 200 क्विंटल की उपज देते है। परवल की बुवाई के बाद ठीक 90 से 120 दिन बाद परवल के बेल अच्छी पैदावार देने लगते है।

जब परवल बाजार में बिकने जाते है तब कम से कम 40 रुपए किलो बिक जाती है। अगर 40 रुपए के दाम के हिसाब करे तो एक हेक्टर में से तक़रीबन 8.00 लाख रुपए का मुनाफा किशान कर शकता है (Parwal Ki Kheti In Hindi)

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सारांश

नमस्ते किशान भइओ इस आर्टिकल के माध्यम से आपको परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) में इस के बारे में बहुत कुछ जननेको मिलेगा और परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) में कोन कोन सी वेराइटी अच्छी हे।

परवल कैसे और कब बुवाई करे परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) में कोन कोन सा खाद डालना चाहिए। परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) के पौधे पे लगने वाला रोग एवं कीट इन रोग और कीट से नियंत्रण कैसे करे

परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) की उपज एवं तोड़ाई कैसे करे वैसे बात करे तो परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) के वारे में इस आर्टिकल में आपको बहुत कुछ जानने को मिला होगा।

इस लिए ए आर्टिकल आपको परवल की खेती (Parwal Ki Kheti In Hindi) करने में बहुत हेल्प फूल होगा इस लिए हमें पता हे की ए आर्टिकल आप को बेहद पसंद आया होगा। इस लिए ए आर्टिकल को आप अपने किशान भइओ के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। इस आर्टिकल में अंत तक बने रहने के लिए आपका धन्यवाद

FAQ’s

Q-1. परवल की बुवाई के बाद कितने दिन में फल देते है ?

Answer : परवल की बुवाई के ठीक 90 से 120 दिन बाद फल देते है

Q-2. परवल की प्रसिद्ध किस्मे ( वेराइटी )कौन कौन सी है ?

Answer : परवल की प्रसिद्ध किस्मे ( वेराइटी ) में काशी अलंकार, स्वर्ण रेखा, कल्यानी, काशी सुफल, संतोखिया, स्वर्ण अलौकिक और भी कही सारी किस्मे है

Q-3. परवल की खेती को केसा तापमान अनुकूल आता है ?

Answer : परवल की खेती को 25℃ से 30℃ तापमान अनुकूल आता है

Q-4. परवल की बुवाई कैसे करे ?

Answer : परवल की बुवाई तीन तरीके से की जाती है एक बीज बुवाई, लत्ताओं की लच्छी, जड़ों की कलम, इस प्रकार परवल क बुवाई करते है

Q-5. परवल की खेती एक हेक्टर में की जाये तो उपज से कितना मुनाफा मिलता है ?

Answer : परवल की खेती एक हेक्टर में की जाये तो उपज से 8 से 8.5 लाख का मुनाफा मिलता है

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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