वेणुगोपालपुरा गांव के एक किशान गंगाधर रेसम की खेती कर के बंपर पैदावर प्राप्त करने में कामियाब बने है।

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दोस्तों आज है एक नए राज्य और नए किशान की कहानी लेके आये है आपको इस आर्टिकल को पढ़ने में ज्यादा मजा आएगा और खेती की नई तकनीक एवं नई खेती के बारे मे आपको बताना मेरा काम है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे की रेशम की खेती इन हिंदी (Resham Ki Kheti in Hindi) कैसे करे इन के बारे में बारीक़ से जानकारी मिलेंगी।

Resham Ki Kheti in Hindi

रेसम की खेती कर के किसान बना अधिक धनवान

दोस्तों आज हम कर्नाटक राज्य के कोलार जिल्ले के बंगारपेट तहसील के वेणुगोपालपुरा गांव के किशान गंगाधर की बात करेंगे। दोस्तों कोलार जिल्ले का पूरा इलाका सोने की खदान और ग्रेनाईट केलिए जाना जाता है। उचे उचे पथरीले पहाड़ो पर ग्रेनाईट की खदाने है। यहाँ से ग्रेनाईट दूर दूर तक सप्लाई किया जाता है। जमीन के निचे सोने की खदाने है। लेकिन कश्म कश्म ए है के ग्रेनाइट और सोने से भरपूर ए जमीन खेती के लिए उपुक्त नहीं मानी जाती।

पथरीली जमीन और पानी की किलत की वजसे ए जमीन बंजर हो रही है। किसान दिन रात कीड़ी महेनत करके फसल उगाते है। लेकिन जीतोड़ महेनत के बावजूत मन चाहा मुनाफा नहीं मिलपाता। बंगारपेट से करीब 10 किलोमीटर एक छोटासा गांव है वेणुगोपालपुरा। इसी गांव के रहने वाले एक किसान है गंगाधर। एभी दूसरे किसानो की तरह पारम्परिक खेती किया करते थे। और इनकी कहानी भी बाकि किसानो की जैसी ही थी। लेकिन गंगाधर की अलग शोस ने इन्हे खास बना दिया। अब बात एहे के पुरे जिल्ले मे गंगाधर की तकनीक और महेनत की मिशाल दी जाती है।

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10 साल पहेले गंगाधर एक मामूली बिजली मिकेनिकल थे। इनके पास अपनी दुकान तक नहीं थी। खेती के काम से अलग दो पल फुरसत के मिल जाते यह अपने घरमें ही बिजली के सामान को सुधारने में लगजाते इससे उनका वख्त तो गुजरता ही साथ ही घर में दो पैसों की आदनी हो जाती। गंगाधर के पास जमीं इतनी कम थी की उस जमीन से इनका परिवार का गुजारा सल पाना भी मुनकिन नहीं था। गंगाधर को अपने पिता से डेढ़ एकड़ जमीन मिली थी और बर्षो से इस जमीन पर ए पारम्परिक खेती कर रहे थे। लेकिन गंगाधर ने हालात से समजोता करने की बजाए हंमेशा डट कर महेनत की पर इसी मिजाज ने कामयाबी के शिखर पर पहुंचाया।

गंगाधर ने रेसम की खेती मे ऐसे कदम बढ़ाए के फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कुछी बरस में गंगाधर इलेक्ट्रिकल मेकेनिक से सम्पन किशान बन गए। रेसम की खेती में गंगाधर ने कामयाबी के नए मुकाम हासिल किया।

गंगाधर ना सिर्फ रेसम उगाते हे बल्कि उन्होंने रेसम उत्त्पादन के लिए एक प्रोसेसिंग यूनिट का निर्माण भी किया है। जिस के लिए बड़ा एक हॉल बनवाया गया और इसमें बास और बलियो की मदद से तीन से चार मंजिला बेड बनाया है। बास और बलियो को इतनी मजबूती से बांधा गया है की ताकि ए गिरे ना और इस हॉल में हवा की अवर जवर के लिए जगह जगह पर खिड़किया बनाई गई है और बहार के कीड़े मकोड़े रेसम के कीड़ो को नुकशान न पहुँचाए।

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वेणुगोपालपुरा गांव के दुशरे किशान भी गंगाधर की सुजबुझ की मिशाल देते है हलाकि गंगाधर की उम्र बहुत ज्यादा नहीं है पर कम उम्र अच्छी तरक्की पाके उन्होंने अलग पहचान बनाई है। यही वजह से बाकि किशानो के लिए गंगाधर मिशाल बन गए है।

दोस्तों क्या आप जानते है की रेसम की खेती को सेरीकल्चर या रेसम किट पालन कहा जाता है। रेसम के कीड़े से ज्यादा से ज्यादा रेशम उत्त्पादन करने के लिए कीड़ो को पालना पड़ता है।

दोस्तों क्या आप जानते हो की पुरे भारत में सबसे ज्यादा रेसम का उत्त्पादन कीश राज्य में होता है। में आपको बताता हु रेसम का उत्त्पादन कर्नाटक राज्य मे सबसे ज्यादा होता है। दोस्तों रेसम का एक किलोग्राम के बाजार के दाम लगभग 2000 से 3500 रूपया मिल जाता है।

भारत में मुख्य रूप से तमिलनाडु,झारखंड, पश्विम बंगाल, आसाम, आंध्रा प्रदेश, और कर्नाटक राज्य में रेसम के प्रमुख उत्त्पादन करते है। कर्नाटक,आंध्रा प्रदेश, और आसाम तीनो राज्यों में 8000 मेट्रिक टन का उत्त्पादन करते है।

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