वर्मी कंपोस्ट क्या है (What Is Vermicomposting) : किसान भाई विश्व में केंचुओं की लगभग 7000 प्रजातियां पायी जाती है, जिनमें से केवल 40 प्रजातियां ही भारत में पायी जाती है, इनमें से मात्र दो प्रजातियां ही वर्मीकल्चर (वर्मीकम्पोस्ट) बनाने में उपयोग किया जाता है। जो (1) गहरी सुरंग बनाने बाले केचुओं और (2) सतही केंचुए ए दोनों प्रजातियां वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने में उपयोग किया जाता है।
वर्मी कंपोस्ट क्या है? (What Is VermiCompost?)
किसान भाई वर्मी कंपोस्ट क्या है तो पौधों को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलें तथा अधिक उपज प्राप्त हो सके। हमारे यहां करोडों टन कृषि अपशिष्ट (भूसा, कडब, पत्तियाँ) आदि उपलब्ध हैं, जिसमें से अधिकतर मात्रा में किसान भाई इस अपशिष्ट को जला देते हैं, जबकि इन्हीं अपशिष्ट जैविक पदार्थों को केचूएं मात्र 2 माह में उत्तम किस्म की वर्मीकम्पोस्ट में परिवर्तित कर देते है, और करोडों टन पोषक तत्व प्राप्त किये जा सकते है।
किसान भाई केचूओं की कास्टिंग उनके अवशेष/मल एवं उनके अण्डे, कोकून लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु, पोषक तत्व और अपचित जैविक पदार्थों का मिश्रण ही वर्मीकम्पोस्ट कहलाता है। केचूएं उपयुक्त तापमान व नमी पर वनस्पति अवशेष आदि को सडाकर जैविक खाद (वर्मीकम्पोट खाद) के रुप में परिवर्तित करते हैं केंचूओं का वैज्ञानिक तरीको से प्रजनन तथा इन्हें बडा करना वर्मीकल्चर कहलाता है।
वर्मी कंपोस्ट खाद कैसे बनाते हैं? (How To Make Vermicompost?)
दोस्तों वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए सर्वप्रथम 6-8 मीटर ऊँचाई की एक शेड (झोंपडी) तैयार करे ताकि उपयुक्त तापमान एवं छाया रखी जा सके। वर्मीकम्पोस्ट हेतु 25-300 सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है। यह शेड पानी के स्त्रोत के पास हो ताकि पानी आवश्यकतानुसार आसानी से प्राप्त होता रहे तथा यह भी ध्यान रखे कि शेड में पानी का भराव नही हो।
किसान छायादार स्थान का आकार उपलब्ध कार्बनिक ठोस अपशिष्ट की मात्रा पर निर्भर करता है। परन्तु फिर भी क्यारी की लम्बाई आवश्यकतानुसार 50 फीट तक रखी जा सकती है लेकिन चौडाई 3 फीट से अधिक नही रखे तथा ऊँचाई भी 1.5 फीट से अधिक नही रखें।
वर्मीकम्पोस्ट के लाभ (Benefits Of Vermicompost)
(1) वर्मीकम्पोस्ट मृदा सरंचना, जल निकास, वायुसंचार तथा जल धारण क्षमता में सुधार करने के साथ ही सूक्ष्म जीवाणुओं को भी सक्रीय बनाता है जिससे मृदा में हयूमस की मात्रा में वृद्वि अवश्यसम्भावी होती है।
(2) गोबर की खाद की तुलना में वर्मीकम्पोस्ट में एक्टिनोमाइसिटिज (सूक्ष्म जीवाणु) की मात्रा कई गुना अधिक होने से फसलों में व्याधि प्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है।
(3) केंचुओं के शरीर पर एक पेराट्रोपिक झिल्ली होती है जो पानी के वाष्पीकरण को कम करती है अतः फसलों में सिचाई की भी कमी अवश्यकता होती है।
(4)वर्मीकम्पोस्ट के प्रयोग से खरपतवार भी कम उगते है और फसल की बढवार भी अच्छी होती है तथा उपज में वृद्धि होती है।
(5)समस्याग्रस्त खेतों में प्रयोग करने पर दीमक को भी कम किया जा सकता हैं
(6) इस खाद के उपयोग से खेतों में ह्यूमस वृद्धि के कारण वर्षा की बूंदो का अघात सहने की क्षमता साधारण मृदा की तुलना में कई गुना बढ जाती है अतः मृदा का क्षरण कम होता है।
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