आलू की खेती हमारे देश के कई राज्य में किसान बड़े पैमाने में करते है। और अधिक उत्पादन भी प्राप्त करते है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आलू की खेती में खरपतवार नियंत्रण करने का सही तरीका (Aalu Ki Kheti Me Kharpatwar Niyantran Karne Ka Sahi Tarika) जानेंगे और आलू की खेती से अधिक उत्पादन प्राप्त करने की भी बतसित करेंगे।
हम सब जानते है की धान की फसल की कटाई के बाद किसान बंधु आलू की खेत तैयारी कर के आलू के उतम बीज की बुवाई किसान करते है। हम ने देखा है की आलू की फसल में किसान बहुत मेहनत करते है फिर भी किसान को अधिक उपज नहीं मिलती है और किसान निराश हो जाता है। तो आलू की खेती में कुछ बातो का ध्यान रखा जाए तो अधिक उत्पादन के साथ किसान की अच्छी कमाई और ज्यादा मुनाफा मिल सकता है।
आलू की फसल की अधिक उत्पादन के लिए कई बातो का ध्यान रखना चाहिए जैसे की मिट्टी की पसंदगी, उत्तम प्रकार के आलू के बीजों की बुवाई करे, जब कोई रोग या कीट आलू की फसल में अटैक करे तब योग्य दवाई का छिड़काव कर के आलू की फसल को इन रोग और कीट से मुक्त करे, फसल को खरपतवार मुक्त रखे, मिट्टी की नमी और पौधे की अच्छी विकास के लिए सिंचाई भी समय सर करते रहे। आलू की खेती में इस प्रकार की कई बातो का ध्यान रखना चाहिए तब जाकर अधिक उत्पादन प्राप्त होता है।
आलू की फसल में खरपतवार एक बहुत बड़ी समस्या है। आलू की फसल में खरपतवार का नियंत्रण नहीं किया तो सारी फसल में कई रोग एवं कई सारे कीट अटैक करते है और फसल को बहुत नुकसान पहुंचाते है और किसान को भी बड़ा नुकसान भुगतना पड़ता है। हम सब भलीभाती जानते है की किसी भी फसल में जब खरपतवार नियंत्रण नहीं किया जाए तब फसल की उपज कम प्राप्त होती है इस लिया खरपतवार नियंत्रण करना बेहद जरूरी है।
आलू की फसल में खरपतवार नियंत्रण कैसे किया जाता है।
आलू की फसल एक ऐसी फसल है की इस में खरपतवार नियंत्रण तो प्रकार से कर सकते है। एक आलू की फसल बुवाई के बाद तुरंत और बुवाई के बाद जब पौधे अंकुरित हो जाने के बाद यह दोनो तरीके से आलू की खेती में खरपतवार नियंत्रण कर कहते है।इन की फसल में रासायनिक दवाई का इस्तेमाल कर के खरपतवार नियंत्रण कर कहते है और इस प्रकार खरपतवार नियंत्रण करने से मिट्टी की उत्पादन शक्ति कम होती जाती है और बाद में जो भी फसल इन मिट्टी में बुवाई करे इन की उपज कम प्राप्त होती है। पर जो खरपतवार नियंत्रण आप निदई गुड़ाई कर के नष्ट करते है तो आप को उपज अधिक मिलती है। पर रसननिक दवाई का इस्तेमाल कर के खरपतवार नियंत्रण करने में खर्च कम लगता है पर खुरपी से बिदाई गुड़ाई करे तो लागत घोड़ी ज्यादा होती है।
आलू के प्रसिद्ध बिजी की बनाई के बाद खरपतवार नियंत्रण कैसे कर सकते है।
आलू के उत्तम बीजों की मुख्य खेत में बुवाई के बाद तुरंत खरपतवार नियंत्रण के लिए आप पेंडीमेथालिन 30% EC को 1.5 लीटर का नाम ले या तो आइसोप्रोटुरॉन 75% 500 ग्राम या तो एट्राजिन को 200 ग्राम का नाम ले और एक एकड़ के हिचाब से अच्छे से छिड़काव करे। और यह छिड़काव आलू की फसल की बुवाई के बाद तुरंत करना चाहिए। और यह बात का भी ध्यान रहे की जब आप इन रासायनिक दवाई का छिड़काव करते है तब जमीन में नमी होना बेहद जरूरी है तब जाकर अच्छा रिजल्ट मिलता है। और ए भी बता दे की यह दवाई का इस्तेमाल कर के आलू की फसल में आप 65% से 75% प्रतिशत तक का ही खरपतवार नियंत्रण रासायनिक दवाई की मदद से कर सकते है।
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आलू के बीज जब अंकुरित हो जाता है तब खरपतवार नियंत्रण कैसे करना होगा।
आलू की फसल में जब बीज में से पौधे अंकुरित हो जाता है तब भी इन की फसल को खरपतवार से मुक्त कर सकते है। तब आप को सेंकर जो बयारका आता है इन की 150 ग्राम का नाप लेकर अच्छे से पानी में मिलघोल के एक एकड़ के हिसाब से अच्छे से छिड़काव करे। और यह छिड़काव में आप 180 से 200 लीटर पानी का इस्तेमाल कर सकते है। और इस बात का भी ध्यान रखे की जब आलू की फसल बुवाई के बाद जब 25 से 31 दिन की हो जाए तब इन दवाई का इस्तेमाल करे।
आलू की फसल में आप इस प्रकार से खरपतवार नियंत्रण या खरपतवार की नष्ट कर सकते है। यह आर्टिकल आप को आलू की फसल में अधिक उपज के लिए हेल्प करेगा और आप को यह आर्टिकल बहुत पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते हैं।
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