ग्वार की टॉप 3 उन्नत किस्में (Gawar Ki Top 3 Unnat Kisme) : देश के पश्चिमी भाग के शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्रों में खेती की जाने वाली एक महत्वपूर्ण फसल है। ग्वार सबसे ज्यादा तापमान सहन कर सकता है। भारत देश में ग्वार की खेती ज्यादा तर राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, और उत्तर प्रदेश में की जाती है। राजस्थान अकेला भारत में 80% ग्वार का उत्पादन करता है। भारत में ग्वार की खेती काफी कम होती है।
ग्वार की बुवाई से लेकर कटाई का समय 50 से 60 दिनों का होता है। ग्वार का उपयोग पशुओ को चारा रूप में भी दिया जाता है। ग्वार से पशुओ को प्रोटीन और कई सरे खनिज तत्व मिल जाते है। भारत विश्व में सबसे अधिक ग्वार की फसल उगाने वाला देश है। दलहनी फसलों में ग्वार का भी विशेष योगदान है। यह फसल राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात,हरियाणा प्रदेशो में ली जाती हैं।
ग्वार की टॉप 3 उन्नत किस्मे (Top 3 Improved Varieties Of Guar)
किसान भाई भारत में ग्वार की खेती बहुत काम लोग करते है। जो ग्वार की खेती करते है उनको ग्वार की माहिती नहीं होती है। इस लिए किसान भाई आज हम ग्वार की किस्में के बारे में बताने वाले है। के कौन सी ग्वार की किस्में अच्छी है। इससे किसान को ग्वार की खेती में ज्यादा उत्पादन मिलेगा। और मुनाफा भी अच्छा मिलता है। ग्वार की किस्में जैसे की आर जी सी-1038 ग्वार की किस्में, एच जी-2-20 ग्वार की किस्में और आर जी सी-1031 ग्वार की किस्में यह सब ग्वार की किस्में ज्यादा उत्पादन देने में प्रख्यात है।
(1) आर जी सी-1038 ग्वार की किस्में (2009) (RGC-1038 (2009)Guar Varieties)
इस किस्म की पकने की अवधि 100 से 110 दिन की है। पौधे की पत्तियां खुरदरी और कटाव वाली होती है।फूल हल्के गुलाबी रंग के और 40 से 45 दिनों में आते हैं। इस किस्म की उत्पादन क्षमता 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टर तक होती है। दानों का रंग स्लेटी और मध्यम मोटाई का होता है। फलिया मध्यम लम्बी और इनमें दानों का उभार स्पष्ट दिखाई देता है।
इस किस्म के दानों में एन्डोस्पेम की मात्रा 31.6% से 36.5%, प्रोटीन 28.6% से 30.9%, गोंद 28.9% से 32.6% और कार्बोहाड्रेड 35.2% से 37.4% पाया जाता है। यह किस्म अनेक रोगों से रोग प्रतिरोधकता दर्शाती है। इस किस्म की कतार से कतार की दूरी 40 सेमी और पौधे से पौधे के मध्य 35 सेमी की दूरी पर बुवाई करनी चाहिए।
(2) एच जी-2-20 ग्वार की किस्में (2010) (HG-2-20 Guar Varieties)
किसान यह किस्म वर्षा आधारित परिस्थतियों में भी अच्छी उपज देती है। इसकी पत्तियां खुरदरी, फलियाँ लंबी और दाने मोटे होते हैं। इस किस्म की पकने की अवधि 90 से 100 दिन और पैदावार क्षमता 8 से 9 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह किस्म जीवाणु पत्ता अंगमारी, जड़ गलन और अल्टरनेरिया अंगमारी रोगों के प्रतिरोधी भी पाई गयी है।
(3) आर जी सी-1031 ग्वार की किस्में (RGC-1031 Guar Varieties)
किसान भाई इस किस्म की पकने की अवधि 100 से 115 दिन और उत्पादन क्षमता 10 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टर है।आर जी सी 936 (1991) यह किस्म एक साथ पकने वाली है। फूल हलके गुलाबी रंग के और यह फूल 40 से 45 दिनों में आजाते है। फलियों की लम्बाई मध्यम एवं दानों का उभार स्पष्ट दिखाई देता है। दानों का रंग स्लेटी और आकर मध् यम मोटाई का होता है।
किसान भाई प्रकाश संवेदशील है। दाने मध्यम आकर के हल्के गुलाबी रंग के होते हैं। 100 से 115 दिन की अवधि वाली यह किस्म अंगमारी रोधक है। इसमें झुलसा रोग को सहने करने की क्षमता भी है। सफेद फूल इस किस्म की शुद्धता बनाये रखने में सहायता करते है। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जायद और खरीफ में बोने के लिये उपयुक्त है।
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आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को ग्वार की टॉप 3 उन्नत किस्में (Gawar Ki Top 3 Unnat Kisme) इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को ग्वार की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।
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