हल्दी की खेती करने का सहि तरीका जानले|Haldi Ki Kheti Kaise Kare in Hindi

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नमस्ते किशान भाईयो आज के इस आर्टिकल में हम हल्दी की खेती कैसे करे इन हिंदी (Haldi Ki Kheti Kaise Kare in Hindi) इन के बारे में बारीक़ से जानकारी प्राप्त करेंगे। हल्दी की खेती मसाला के रूप में किशान करते है।

हल्दी की उपज कंद के रूप में मिलती है। हल्दी का रंग हल्का पीला होता है। हल्दी के कंद को कच्चा भी खा शकते है और हल्दी के कंद को सूखा के पावडर बना के भी मसाला के रूप में उपयोगी है। इन के आलावा सौन्दर्य प्रसाधन में भी हल्दी का काफी उपयोग होता है।

हल्दी का उपयोग सब्जी में एवं कई औषोधियो को तैयार करने में और हिन्दू समाज के लोग धार्मिक रीति रिवाज में भी हल्दी का उपयोग करते है। हल्दी को रस्म रिवाज में जैसे की शादी या विवाह में हल्दी लगाने की रस्मे भी होती है। हल्दी के कंद में कुर्कमिन होता है।

Haldi Ki Kheti Kaise Kare in Hindi
हल्दी की खेती कैसे करे इन हिंदी | Haldi Ki Kheti Kaise Kare in Hindi

हल्दी में स्टार्च की मात्रा ज्यादा होती है। हल्दी में रेशा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज, इस प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते है। औषोधिक दवाई में भी हल्दी का उपयोग बहुत होता है। जब कोई शरीर की अंदरूनी भाग में चोट लगती है तब दूध के साथ हल्दी का सेवन करने से वे चोट ठीक हो जाती है।

हल्दी औषोधिक दवाई में जब खासी होती है तब भी उबला हुआ दूध में एक चमच हल्दी मिला के सेवन करने से खासी में काफी रहत होती है। हल्दी में कैंसर विरोधी तत्व भी पाए जाते है।

इस प्रकार हल्दी का कई सारे उपयोग करते है। इस लिए आज के ज़माने में हल्दी की मांग बड़ती जाती है तब किशान हल्दी की खेती कर के अच्छी इनकम कर शकता है।

हल्दी की खेती कैसे करे इन हिंदी (Haldi Ki Kheti Kaise Kare in Hindi)

हल्दी की खेती करने से पहेले इन बातो पर ध्यान देना चाहिए। जल्दी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी कौन सी है। जल्दी की खेती के लिए तापमान एवं खेत तैयारी कैसे करे। हल्दी की खेती में उन्नत किस्मे कौन कौन सी है। हल्दी की खेती में बीजाय और हल्दी की खेती में खाद कौन कौन सा डाले और कितना डालें।

हल्दी की खेती में रोग एवं कीट। बात करे तो हल्दी की खेती की सारी जानकारी इस आर्टिकल के अंत तक प्राप्त हो जाएगी। इस लिए हल्दी की फसल की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए आप को इस आर्टिकल के अंत तक बने रहे।

हल्दी के लिए कौन सी मिट्टी?

हल्दी की खेती में हल्दी के पौधे बलुई दोमट मिट्टी में सब सेअच्छे से विकास करता है। और बलुई दोमट मिट्टी में हल्दी की पैदावार भी अच्छी प्राप्त होती है। हल्दी की खेती जीस मिट्टी में करे उस मिट्टी की पी एच मान 5 से 7 के बिच का होना बेहद जरूरी है।

हल्दी की खेती में गर्म एवं आद्र जलवायु की जरूरत होती है। हल्दी की फसल में जल निकास की वयवस्था अच्छे से करनी चाहिए। हल्दी के बीज को अंकुरित होने के लिए 15°C से 25°C तक का तापमान अच्छा माना जाता है और हल्दी के पौधे की अच्छी विकास के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है।

हल्दी की खेती ठंड जलवायु में अच्छे से विकास नहीं करती है। ज्यादा ठंड पड़ने पे हल्दी की फसल का विकास रूक जाता हे। और ठंड के कारण पड़ने वाला पाला भी हल्दी की फसल को नुकशान पहुचाता है।

हल्दी की खेती में खेत तैयारी में दो से तीन बार गहेरी जुताई करनी चाहिए और जमीन को भुरभुरी कर लेनी चाहिए। बाद में पाटा चलाके अच्छे से मिट्टी को समतल कर लेनी चाहिए। इन के बाद बेड तैयार कर के हल्दी की बुवाई करनी चाहिए।

हल्दी की खेती में आखरी जुताई से पहेले अच्छे से साडी गोबर की खाद एक हेक्टर में 13 से 15 टन खाद डाल के अच्छे से मिट्टी में मिला देनी चाहिए।

हल्दी की कितनी किस्में होती हैं?

हल्दी की कई सारि उन्नत (प्रसिद्ध) किस्मे है। इन में से लकाडोंग, राजेन्द्र सोनिया, अल्लेप्पी, सोरमा, मद्रास, इरोड, आर.एच. 5, सांगली, सोनिया, गौतम, सगुना, रश्मि, सुरोमा, रोमा, आरएच 13/90, कृष्णा, गुन्टूर, मेघा, सुकर्ण, कस्तूरी, सुवर्णा, सुरोमा और सुगना, इन के अलवा भी हल्दी की कई सारी उन्नात किस्मे है।

हल्दी की इन किस्मे की बुवाई कर के किशान अच्छी मात्रा में उपज एवं अधिक मुनाफा भी प्राप्त करते है।

हल्दी की बुवाई कब होती है?

हल्दी की बुवाई ज्यादा तर किशान अप्रैल एवं मई और जून महीने में करते है। हल्दी की बुवाई करने से पहेले हल्दी के बीज को मैंकोजेब और कार्बेन्डाजिम से उपचारित अवश्य करे। हल्दी की खेती एक हेक्टर में 7.5 से 8.5 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है।

हल्दी के बीज बेड पर बीज से बीज की दुरी 20 सैमी की रखनी चाहिए। और हल्दी के बीज की समतल जमीन में 15 से 20 सैमी की दुरी रखनी चाहिए। और हल्दी के बीज की गहराई 2.5 से 3 सैमी से अधिक नहीं रखनी चाहिए।

हल्दी के बीज की बुवाई हो जाने के बाद सिचाई अवश्य कर लेनी चाहिए। हल्दी की खेती में सिंचाई की जरूरी बहुत कम होती है। हल्दी की खेती में बारिश के मौसम में सिंचाई योग्य समय पर करे।

हल्दी की खेती में खरपतवार

हल्दी की फसल में खरपतवार नियंत्रण रखना बेहद जरूरी है। जब खरपतवार नियंत्रण नहीं रखते तब हल्दी की उपज कम प्राप्त होती है और ज्यादा खरपरवार से हल्दी के पौधे पर कई रोग एवं कीट अटेक करते है। और पौधे को रोग एवं कीट ग्रस्त कर लेते है।

हल्दी के बीज की बुवाई के बाद 25 से 30 दिन के हल्दी के पौधे हो जाए तब एक निदाई गुड़ाई करनी चाहिए। और इन के बाद 20 से 30 दिन के फैसले पर निदाई गुड़ाई करनी चाहिए।

हल्दी की खेती में निदाई गुड़ाई खुरपी से करनी चाहिए। खुरपी से निदाई गुड़ाई कर के हल्दी के पौधे की आस पास मिट्टी अच्छे से सड़ा देनी चाहिए। हल्दी की फसल में निदाई गुड़ाई खुरपी से करने से मिट्टी में हवा मिलती है और मिट्टी भुरभुरी रहती है।

हल्दी की फसल में रासायनिक दवाई का इस्तेमाल कर के खरपतवार नहीं करना चाहिए। रासायनिक दवाई का इस्तेमाल करने से जमीन की उपजाव शक्ति दिन प्रति दिन कम होती जाती है और दो से तीन साल बाद उस जमीन में से उपज भी कम प्राप्त होती है।

क्या हल्दी को खाद की जरूरत है?

हल्दी की खेती में योग्य समय पर खाद लेना चाहिए। हल्दी के पौधे की अच्छी विकास के लिए एवं हल्दी की उपज में ज्यादा पैदावार प्राप्त करने के लिए खाद देना बेहद जरूरी है। हल्दी की फसल में इस प्रकार के खाद देना चाहिए।

हल्दी के खेत तैयारी के समय गहरी जुताई कर के आखरी जुताई से पहले हक हेक्टर में 13 से 15 टन साडी गोबर की खाद दाल के मिट्टी में अच्छे से मिला देनी चाहिए। इन के बाद हल्दी की बुवाई कर देनी चाहिए।

हल्दी की खेती में इन के अलावा भी इस प्रकार के खाद डाले। एक हेक्टर के हिसाब से नाइट्रोजन 20 से 25 किलोग्राम, फास्फोरस 20 से 25 किलोग्राम, पोटाश 20 से 25 किलोग्राम, यूरिया 55 से 60 किलोग्राम और एस एस पी 60 किलोग्राम इन के बाद जिंक भी योग्य मात्रा में डाल शकते है।

हल्दी की खेती में इन के बाद जब हल्दी की फसल 60 से 70 दिन की हो जाए तब योग्य मात्रा में खाद देनी चाहिए। हल्दी की फसल में इस प्रकार की खाद देनी चाहिए।

हल्दी के पौधे पर लगने वाले रोग एवं कीट

हल्दी के पौधे में कई प्रकार के रोग एवं कीट अटेक करते है और इस रोग एवं कीट से हल्दी के पौधे को रोग गस्त कर लेते है। इस लिए जल्दी के पौधे की वृद्धि अटक जाती है और उपज भी कम प्राप्त होती है। इस लिए जब कोई रोग एवं कीट हल्दी के पौधे पर दिखाई दे तब योग्य दवाई का छिड़काव करना चाहिए।

हल्दी की फसल में इस प्रकार के रोग एवं कीट ज्यादा तर दिखाई देते है। झुलस रोग, जड़ गलन, पत्तों पर धब्बे, हल्दी का पौधा मुरझानाजाना, पत्तों पर बड़ेदिखाई देना, राईज़ोम मक्खी, पतों का रस चूसने वाले कीट, शाखा का छेदक कीट, इस प्रकार के रोग एवं कीट हल्दी की फसल में दिखाई देते है।

हल्दी की कटाई कैसे की जाती है?

हल्दी की खेती में बुवाई अप्रैल से जून महीने के बिच करते है और बुवाई के बाद ठीक 8 से 9 महीने के बाद हल्दी के कंद पूरी तरह से पक के खुदाई के लिए तैयार हो जाते है। हल्दी के पौधे पर जब पता पीला पड़ने लगे तब हल्दी के कंद पक जाता है।

हल्दी की फसल की कटाई के बाद हल्दी की गांठो की चाव में सूखा देना चाहिए। हल्दी के गांठो चाव में सुखाने से जल्दी की ऊपरी छिलका सख्त हो जाता है और अधिक समय तक सग्रह कर शकते है।

हल्दी की गांठो को सोडियम बाइकार्बोने की 10 ग्राम एक लीटर पानी में मिला के एक घंटे तक उबाले। बाद में उस की खुसबू आने के बाद निकाल के चाव में सूखा लेना चाहिए। इस प्रकार उबाल लेने से हल्दी का रंग आकर्षक दिखाई देते है।

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FAQ’s

हल्दी कितने दिन में तैयार हो जाती है?

हल्दी बुवाई के बाद 220 से 240 दिन में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है। हल्दी बुवाई के बाद पूरी तरह से पक ने में 8 से 9 महीने का समय लगता है।

हल्दी की बुवाई कौन से महीने में होती है?

हल्दी की बुवाई अप्रैल मई और जून महीने में भी कई किशान करते है और अच्छी मात्रा में उपज के साथ साथ अधिक मुनाफा भी प्राप्त करते है।

भारत में हल्दी कहाँ होती है?

भारत में हल्दी लगभग सभी राज्य में किशान करते है पर भारत में सब से हल्दी की खेती करने वाले राज्य तेलंगाना, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं गुजरात के कई विस्तार में हल्दी की खेती करते है।

हल्दी का उपयोग ?

हल्दी का उपयोग हम सब्जी में शरीर के अंदुरनी हिच्छे से चोट लगने पर उबला दूध में एक चमच मिला के सेवन कतरे है। हाथ एवं पेरो का दर्द ठीक हो जाता है। कैंसर जैसी बीमारी में और शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाते है इन के अलावा पाचन तंत्र को मजबूत बनाते है इन के अलावा भी कई सारे रीती रिवाज में हल्दी का उपयोग हम करते है।

हल्दी के लिए कौन सा उर्वरक सबसे अच्छा है?

हल्दी की खेती में हल्दी के पौधे की अच्छी विकास एवं हल्दी की अधिक उपज के लिए योग्य समय पर योग्य खाद डालना चाहिए। जैसे की सड़ा हुआ गोबर एक हेक्टर के हिसाब से 13 से 15 टन देना चाहिए। हल्दी की फसल की अच्छी विकास के लिए सड़ा गोबर की खाद सब से अच्छी मानी जाती है।

सारांश – हल्दी की खेती कैसे करे इन हिंदी (Haldi Ki Kheti Kaise Kare in Hindi)

नमस्ते किशान भाईयो इस आर्टिकल के माध्यम से आपको हल्दी की खेती कैसे करे इन हिंदी (Haldi Ki Kheti Kaise Kare in Hindi) इन के बारे में बारीक़ से जानकारी होगी। और हल्दी की उन्नत किस्मे कौन कौन सी है। इन के बारेमे भी बहुत कुछ जानने कोहोगा।

हल्दी की खेती कब और कैसे की जाती है और हल्दी की खेती एक हेक्टर में करे तो उपज कितनी प्राप्त कर शकते है। और हल्दी की खेती में कौन कौन से खाद और कितना देना चाहिए। इन के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला होगा।

हल्दी की खेती में ए आर्टिकल आप को बहुत हेल्पफुल होगा। और ए आर्टिकल आप को बहुत पसंद भी आया होगा। इस लिए ए आर्टिकल को अपने सबंधी एवं मित्रो और किशान भाई को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। इस आर्टिकल के अंत तक बने रहने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद।

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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