अंगूर की खेती कब और कैसे करे|अंगूर की खेती 5 एकड़ में करे तो 50 लाख की कमाई | Angur Ki Kheti Kab Aur Kaise Kare

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Angur Ki Kheti Kab Aur Kaise Kare

अंगूर की खेती कब और कैसे करे (Angur Ki Kheti Kab Aur Kaise Kare) में विश्व भर के देशो में से हमारे देश भारत का एक महत्त्व स्थान है। और हमारे देश भारत के कई राज्य में अंगूर की खेती किशान करते है।

भारत में कई मीठे फल की खेती की जाती है इन में से अंगूर के फल का एक प्रमुख स्थान है।अंगूर की खेती कब और कैसे की जाती है इस आर्टिकल में ग्रपेस फार्मिंग (Grapes Farming) की सारी जानकारी आप को मिल जाएंगी।

अंगूर की बागबानी हमारे देश भारत के कई राज्य में होती है जैसे की महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पंजाब, गुजरात, आदि राज्य में अंगूर की बागबानी किसान करते है।

अंगूर की खेती में भारत का महाराष्ट्र राज्य विश्व भर के देशो में भी मशहूर है। महाराष्ट्र के नासिक जिला में अंगूर की 80% का उत्पादन होता है।

महाराष्ट्र के नासिक जिला की मिट्टी एवं जलवायु अंगूर की बागबानी के लिए सर्वोतन मानी जाती है। इस लिए अंगूर की बागबानी व्यापारिक रूप से बहुत लाभकारी होती है।

अंगूर में पोषक तत्व जैसे की विटामिन सी, ए, कैल्शियम, पोटैशियम, कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, कुलवसा, आयरन, शुगर, जिंक, इस प्रकार के तत्व पाए जाते है। जो मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक है।

अंगूर का उपयोग हम विविध वानगी में (व्यजनो) में करते है। जैसे की अंगूर की चटनी, वाइन, फ्रूट चाल, ज्यूस और भी खाने के व्यंजनों में अंगूर का उपयोग हम काफी हद तक करते है।

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आप को अंगूर की खेती कब और कैसे करे इस लेख में आप को अंगूर की बागबानी की संपूर्ण जानकारी मिल जाएंगी।

अंगूर की खेती को अनुरूप तापमान एवं जलवायु केसा होना चाहिए। अंगूर की अधिक पैदावार देने वाली किस्मे कौन कौन सी है। अंगूर की बागबानी के लिए खेत तैयारी कैसे करे। पौधे की रोपाई और सिंचाई कब केरे।

अंगूर की खेती में खरपतवार कैसे करे। अंगूर की खेती में उपज बात केरे तो अंगूर की फार्मिंग की सारी जानकारी इस आर्टिकल के अंत तक आप को मिल जाएंगी।

अंगूर की खेती की संपुर्ण जानकारी के लिए आप को इस आर्टिकल के अंत तक बने रहना होगा ताकि अंगूर की खेती के बारे में आप के जो भी सवाल हे इन सारे सवाल के जवाब मिल जाए।

Table of Contents

अंगूर की खेती कब और कैसे करे (Angur Ki Kheti Kab Aur Kaise Kare)

अंगूर की खेती दिसंबर महीने में या जनवरी महीने में किसान करते है अंगूर की जड़े पहेले से नर्सरी में तैयार की जाती है। बाद में इन महीने में मुख्य खेत में किसान रोपाई करते है।

अंगूर की खेती 5 एकड़ में करे तो 50 लाख की कमाई कर शकते है। अंगूर की खेत में किसान को कई बातो की ध्यान रखनी चाहिए। अधिक उपज के लिए अंगूर की बागबानी इस प्रकार से करनी चाहिए।

अंगूर के लिए सबसे अच्छी मिट्टी कौन सी है?

अंगूर की खेती में अधिक मात्रा में पैदावार प्राप्त करने के लिए और अंगूर की बेल की अच्छी विकास के लिए अंगूर की बागबानी अधिक उपजाव और कार्बनिक पदार्थ से भरपूर मिट्टी में करनी चाहिए।

अंगूर के पौधे या बेल कंकरीली मिट्टी में और दोमट मिट्टी में या रेतील मिट्टी में अच्छे से विकास करती है। और जल निकास की अच्छी व्यवस्था भी होनी चाहिए।

अंगूर की बागबानी जीस मिट्टी में करे उस मिट्टी का पी.एच. मान 5.5 से 8 के बिच का होना बेहद जरूरी है।

अंगूर की खेती के लिए खेत तैयारी में दो से तीन बार गहरी जुताई कर लेनी चाहिए। बाद में पाटा चलके जमीन को समतल कर लेना चाहिए ताकि बाद में जल भराव की समस्या टल जाए।

अंगूर की खेती को अनुरूप तापमान और जलवायु

अंगूर की खेती गर्म एवं शुष्क और दीर्ध ग्रीष्म मौसम को अच्छा माना जाता है। अंगूर की खेती शर्दी के मौसम में एवं बारिश के मौसम में जब बारिश होती है तब अंगूर के फल को नुकशान पहुंचाता है। और दाने भी फट जाते है और गीर जाते है।

अंगूर की खेती सामान्य तापमान में अच्छे से विकास होता है। अंगूर की खेती को 15℃ से 35℃ तक का तापमान अच्छा माना जाता है। अंगूर की खेती में 40℃ तक का तापमान सहन कर शकते है।

अंगूर की खेती को इन से अधिक तापमान होने से फल के लिए हानिकारक है। इन से फल की मिठास पर भी बुरा अचर पड़ता है और बेल से फल जमीन पर गिर भी शकता है।

अंगूर की किस्में कितने प्रकार की होती हैं?

अंगूर की खेती में अधिक उत्पादन के लिए अंगूर की उन्नत किस्मे की रोपाई करना बेहद जरूरी है। हमारे देश के कृषि विश्वविद्यालय ने अंगूर की कई सारी उन्नत किस्मे को तैयार किया है।

अंगूर की बंपर पैदावार प्राप्त करने के लिए किसान को इन सभी अंगूर की किस्मे की रोपाई करनी चाहिए। अंगूर की लोकप्रिय किस्मे के नाम कुछ इस प्रकार के है।

अंगूर की प्रसिद्ध वैराइटी अरका नील मणि, पूसा सीडलेस, अनब-ए-शाही, बंगलौर ब्लू, पूसा नवरंग, भोकरी, गुलाबी, थॉम्पसन सीडलेस, काली शाहबी, परलेटी, ब्यूटी सीडलेस, आदि अंगूर की उन्नत वैराइटी है।

अरका नील मणि: अंगूर की यह किस्मे ब्लैक चंपा एवं थॉम्पसन बिना बीज वैराइटी द्वारा तैयार की गई उन्नत किस्मे है। इस किस्मे की रोपाई एक हैक्टर में की है तो उपज लगभग 25 से 30 टन के बिच में प्राप्त होता है।

इस किस्मे के फल खाने में मीठे और अधिक उपयोग तो इस अंगूर के फल का वाइन (शराब) बना ने में किया जाता है।

पूसा सीडलेस: अंगूर की यह वैराइटी जून के माध्यम में और जुलाई के पहेले सप्ताह में पक ना शुरू हो जाती है। इस किस्मे के फल साइज में थोड़े छोटे और अंडा आकर के होते है।

अंगूर की इस वैराइटी के फल हरे रंग के होते है पर पूरी तरह से पक जाने पर हरे से पीले रंग में बदल जाते है। इन के फल खाने में और कई किसमिश भी बनाया जाता है।

अनब-ए-शाही: अंगूर की इस वैराइटी में फल पक ने में बहुत देर लगती है पर पैदावार तो अधिक प्राप्त होती है। इस अंगूर में बीज भी होते है। इस अंगूर के फल एम्बर रंग के होते है।

अंगूर की इस वैराइटी की रोपाई ज्यादा तरकर्नाटक, पंजाब, आंध्र प्रदेश आदी राज्य में किसान बड़े पैमाने में करते है। यह किस्मे की एक और भी खाशियत है की इस में कोमल फंफूदी के सामने संवेदनशील है।

अंगूर की इस किस्मे की रोपाई एक हेक्टर में करे तो लगभग 30 से 35 टन के बिच में पैदावार प्राप्त होती है।

बंगलौर ब्लू: अंगूर की यह किस्मे की रोपाई कर्नाटक राज्य में बहुत होती है। इस किस्मे के अंगूर के फल बैंगन रंग के होते है और फल में बीज भी पाए जाते है।

अंगूर के फल अंडा आकर के होते है और इस में एन्थराकनोज रोग के सामने प्रतिरोधक है पर कोमल फंफूदी के सामने संवेदन शील है। इस के फल खाने में मीठे होते है।

पूसा नवरंग:अंगूर की यह किस्मे को कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा तैयार की गई है। अंगूर की यह वैराइटी के फल जल्द पक के तैयार हो जाते है।

इस वैराइटी के फल काले रंग के होते है और इन फलो में बीज नहीं होता और फल गोल आकर के होते है। इस किस्मे के अंगूर का फल ज्यादातर शराब (वाइन) बनाने में और रस में उपयोग करते है।

भोकरी: अंगूर की यह किस्मे की रोपाई तमिलनाडु में अधिक विस्तार में किसान करते है। इस के फल हरे और पीले रंग के होते है। इन के फल की त्वचा पतली होती है।

अंगूर की यह वैराइटी हलकी क्वालिटी की मानी जाती है। इस किस्मे की बागबानी एक हैक्टर में करे तो 30 से 35 टन के बिच में उत्पादन प्राप्त कर शकते है।

गुलाबी: अंगूर की यह किस्मे की रोपाई तमिलनाडु राज्य में अधिक विस्तार में किसान करते है। अंगूर की यह किस्मे के फल बैंगन रंग के होते है और फल में बीज भी मौजूद होते है।

अंगूर के फल में टीएसएस 18-20% के बिच में होता है। यह वैराइटी कोमल फंफूदी के सामने अतिसंवेदनशील है। और इस वैराइटी का उत्पादन कम प्राप्त होता है। जैसे की 10 से 15 टन के बिच का रहता है।

काली शाहबी: अंगूर की यह वैराइटी आंध्र प्रदेश में और महाराष्ट्र राज्य के अधिक विस्तार में करते है। यह वैराइटी के फल लाल रंग और बैंगन रंग के होते है।

इस के फल में बीज की मात्रा भी होती है। इस किस्मे की पैदावार 10 से 15 टन के बिच में होती है।

परलेटी: अंगूर की यह वैराइटी की रोपाई उतर भारत में अधिक किसान करते है। अंगूर की यह किस्मे जल्दी पक के तैयार हो जाती है। इस किस्मे की बेल में फल ज्यादा मात्रा में आते है।

अंगूर की यह किस्मे के फल हरे रंग के होते है। इस के फल में घुनलशील ठोस पदार्थ पाए जाते है। और इन के हर एक फल के गुच्छे में कई छोटे छोटे फल होते है।

अंगूर की बागबानी में अंगूर की कलम की कटाई इस प्रकार से करे

अंगूर की बागबानी में अंगूर की बेल की कलम जनवरी महीने में काट के की जाती है। अंगूर के कलम के लिए सवस्थ और परिपक टहनियों का ही उपयोग करना चाहिए।

इन बेल में कम से कम 5 से 7 गांठो होनी चाहिए। और इन कलम की लंबाई 30 से 45 सै.मी की होनी चाहिए। कलम में काट लगाते ध्यान दे की कट गांठ के ठीक नीचे की तरफ लगानी चाहिए।

कलम के कटिंग करते समय ए भी ध्यान रखे की कट तिरछी कट लगाए। इन तैयार कलमों को जमीन की सतह पर क्यारी में लगाए। इन कलम एक साल पुरानी जड़युक्त कलम को मुख्य खेत में जनवरी महीने में लगाई जाती है।

अंगूर की बेलों की रोपाई कैसे करे?

अंगूर की बागबानी में कलम कटिंग कर के की जाती है। इन कलम को जनवरी महीने में काट के तैयार करते है। और इन कलम में 5 से 7 गांठो होते है। इन कलम की लंबाई 30 से 45 सै.मी की होती है।

अंगूर की बेलो की रोपाई कर ने से पहले जमीन की जांच परख जरूर करवानी चाहिए। ताकि आप को भी पता लगजाए की उस मिट्टी में कौन कौन से तत्व की कमी है।

अंगूर की कलम की दुरी विविध किस्मे पर निर्भर रखती है। अंगूर की कलम की रोपाई के लिए 80 से 80 सै.मी के खड्डो तैयार किया जाता है और इन खड्डो में साडी गोबर की खाद और रासायनिक खाद मिट्टी में अच्छे से मिला के इन खड्डो को भर दिया जाता है।

बाद में इन खड्डो की हलकी सिंचाई कर के इन खड्डो में अंगूर की तैयार कलम की रोपाई करनी चाहिए। और जब अंगूर के कलम की रोपाई करे तब इस बात का भी ध्यान रखे की कलम कम से कम एक साल पुराणी होनी चाहिए।

अंगूर के बेलों की सधाई और छंटाई कैसे करे?

अंगूर की फसल में बंपर पैदावार प्राप्त करने के लिए योग्य समय पर इन बेल की काट छाट करनी चाहिए। इन बेलो को काट ने की वीधी को निफिन, टेलीफोन, हैड, बाबर कहेते है।

अंगूर की बेल को योग्य आकार देने के लिए इन बेल को कई बार कटिंग की जाती है। इन अंगूर की बेल में जब फल लगने लगे तब शाखाओ को सामान्य रूप से कई हिच्चे की छंटनी करनी होती है इन को छटाई कही जाती है।

अंगूर की फसल में सिंचाई कब करे?

अंगूर की फसल में अधिक उपज एवं अंगूर की बेल की अच्छी विकास के लिए योग्य समय सिंचाई जरूर करे। अंगूर की फसल में जब फूल लगने लगे और फूल में से फल फल में बदल जाए तब तक सिंचाई की जरूरत होती है।

अंगूर की खेती में सिंचाई शर्दी के मौसम में और बारिश के मौसम में कम करे। अंगूर की फसल में 8 से 10 दिन के अंतर में सिंचाई जरूर करे।

अंगूर की फसल में जब फल पक के तैयार होने लगे तब सिंचाई बंध कर देनी चाहिए। नहीं तो फल फट जाते है और सड़ भी जाते है। इन की खेती में जब फल की तुड़ाई हो जाए तब एक सिंचाई जरूर करे।

अंगूर के पौधे के लिए सबसे अच्छा उर्वरक कौन सा है?

अंगूर की खेती में अंगूर की बेल और बेल में लगे फल दोनों की अच्छी वृद्धि के लिए योग्य समय खाद देना चाहिए। अंगूर की फसल में खाद इस प्रकार से डाल शकते है।

अंगूर की बागबानी एक हैक्टर में खाद की मात्रा और बेल 4 से 5 साल पुरानी के लिए सड़ी गोबर की खाद 13 से 15 टन, नाइट्रोजन 450 से 550 ग्राम, पोटेशियम 50 किलोग्राम, सल्फेट 60 किलोग्राम, पोटाश 650 से 750 ग्राम, और फास्फोरस डाले।

अंगूर की बेल की छंटाई के बाद जनवरी महीने में नाइटोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश की खाद देनी चाहिए। इन खाद को फल आने लगे तब भी देनी चाहिए।

इन खाद डाल के सिंचाई भी जरूर करे इन खाद को अंगूर के ताने से थोड़े दूर नाली बना के इन नाली में खाद डाले और ऊपर मिट्टी से ढक दे बाद में सिंचाई करे।

अंगूर की फसल में खरपतवार नियंत्रण

अंगूर की बागबानी में खरपरवार नियंत्रण योग्य समय करना चाहिए नहीं तो अंगूर के फल की पैदावार कम प्राप्त होती है और अधिक खरपतवार से अंगूर की फसल में कई रोग एवं कीट भी एक करते है।

अंगूर की खेती में खरपतवात दो तरी के से कर शकते है। एक तो हाथ से खुरपी या फावड़ा चलाके निदाई गुड़ाई कर शकते है। और रासायनिक दवाई का इस्तेमाल कर के भी खरपतवार कर शकते है।

हमारा सुझाव हे की खरपतवार हंमेशा खुरपी से या फावड़ा से करे रासायनिक दवाई का इस्तेमाल कम ही करे तो जमीन की ऊपजाव शक्ति बनी रहती है और उपज अधिक मिलती है।

अंगूर के फल की तुड़ाई और उत्पादन

अंगूर की खेती में उपज विविध वैराइटी (किस्म) पर निर्भर रखता है। अंगूर की फसल की अधिक उपज के लिए अंगूर के बेल को रेतीली मिट्टी और गर्म शुष्क जलवायु और सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है।

अंगूर की खेती में अंगूर की कलम की रोपाई के बाद तीन से चार साल बाद एक हेक्टर में से उपज 25 से 35 के बिच में प्राप्त होती है। इन अंगूर के पौधे लगातार हर साल 13 से लेकर 15 साल तक पैदावार देते है।

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FAQ’s

अंगूर के बेल कितने साल में फल देता है?

अंगूर के बेल की रोपाई के बाद 2 से 3 साल में फल देता है।

अंगूर की खेती कितने समय तक चलती है?

अंगूर की फसल अंगूर के कलम की रोपाई के बाद ठीक 13 से 15 साल तक चलती है।

अंगूर की रोपाई कब और कैसे करे?

अंगूर की कलम की रोपाई का सही समय जड़ वाली कलम को जनवरी महीना या तो फरवरी महीना अच्छा माना जाता है और बिना जड़ वाली कलम को अक्टूबर महीने में रोपाई की जाती है।

अंगूर की खेती कौन से जिले में होती है?

हमारे देश भारत में अंगूर की खेती महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में अधिक होती है।

अंगूर उत्पादन के लिए प्रसिद्ध राज्य कौन कौन से है?

अंगूर उत्पादन के लिए भारत में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, राजस्थान। पंजाब, कर्णाटक आदि राज्य में अंगूर की अधिक उपज किसान करते है।

सारांश

नमस्ते किशान भाईयो इस आर्टिकल के माध्यम से आपको अंगूर की खेती कब और कैसे करे (Angur Ki Kheti Kab Aur Kaise Kare) इन के बारे में बारीक़ से जानकारीमिली होगी।

अंगूर की उन्नत किस्मे कौन कौन सी है। इन के बारेमे भी बहुत कुछ जानने को मिला होगा। अंगूर की खेती कब और कैसे की जाती है इन के बारे में भी बहुत कुछ बताया है।

अंगूर की खेती एक हेक्टर में करे तो उपज कितनी प्राप्त कर शकते है। और अंगूर की खेती में कौन कौन से खाद और कितना देना चाहिए। इन के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा।

अंगूर की खेती में ए आर्टिकल आप को बहुत हेल्पफुल होगा। उम्मीद रखते है की ए आर्टिकल आप को बहुत पसंद भी आया होगा। इस लिए ए आर्टिकल को अपने सबंधी एवं मित्रो और किशान भाई को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।

अंगूर की खेती कब और कैसे करे (Angur Ki Kheti Kab Aur Kaise Kare) इन आर्टिकल के अंत तक बने रहने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद

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नमस्कार किसान मित्रो, में Mavji Shekh आपका “iKhedutPutra” ब्लॉग पर तहेदिल से स्वागत करता हूँ। मैं अपने बारे में बताऊ तो मैंने अपना ग्रेजुएशन B.SC Agri में जूनागढ़ गुजरात से पूरा किया है। फ़िलहाल में अपना काम फार्मिंग के साथ साथ एग्रीकल्चर ब्लॉग पर किसानो को हेल्पफुल कंटेंट लिखता हु।

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